कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों को कई देशों के भारतवंशी नेताओं का भी समर्थन मिलने लगा है. कनाडा के बाद अब ब्रिटिश सिख विपक्षी राजनेताओं ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ भारत में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में आवाज उठायी है और यथाशीघ्र शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया है. हालांकि भारत ने किसानों के विरोध प्रदर्शनों पर विदेशी नेताओं की टिप्पणी को अवांछित बताया है क्योंकि यह एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित है. विदेशी समर्थन के अवांछित मसले पर सरकार के साथ आंदोलनरत किसानों के कुछ नुमाइंदे भी आ गए हैं.
हाउस ऑफ लार्ड्स में उठा मसला
ब्रिटेन में कई विपक्षी सांसद सोशल मीडिया पर इस विषय पर अपनी बात रख रहे हैं और लेबर सांसद विरेंद्र शर्मा ने यथाशीघ्र समाधान का आह्वान किया है. लार्ड इंद्रजीत सिंह ने हाउस ऑफ लार्ड्स में यह मुद्दा उठाया था. कनाडा के पीेम ट्रुडो के बाद ब्रिटिश नेताओं की टिप्पणियों को देखते हुए विदेश मंत्रालय भी सक्रिय हो गया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, 'हमने भारत में किसानों से संबंधित कुछ गलत जानकारी वाली टिप्पणियां देखी हैं. इस तरह की टिप्पणियां अवांछित हैं खासकर तब जब विषय एक लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामलों से संबंधित हैं.'
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किसान नेता ने अवांछित हस्तक्षेप बताया
इस कड़ी में कनाडा के प्रधानमंत्री द्वारा केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करने पर आंदोलनकारी किसान नेताओं में से एक ने कहा कि किसी बाहरी व्यक्ति को भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं है. दिल्ली के पास सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में मध्य प्रदेश के किसान नेता शिव कुमार काकाजी ने कहा कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानून वापस नहीं ले लेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
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बाहरी व्यक्ति न करे हस्तक्षेप
उन्होंने किसानों के विरोध में ट्रूडो के समर्थन के बारे में पूछे जाने पर कहा कि किसी भी बाहरी व्यक्ति को भारत के आंतरिक मुद्दों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं है. हालांकि उन्होंने कनाडा के प्रधानमंत्री की किसानों के लिए चिंता को सही बताया. उन्होंने कहा, 'वे हमारे मुद्दों को लेकर चिंतित हैं और हम उसका स्वागत करते हैं.' ट्रूडो ने भारत में आंदोलनकारी किसानों का समर्थन करते हुए कहा था कि कनाडा शांतिपूर्ण विरोध का समर्थन करता है.