CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो) निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को सरकार ने विवाद के बाद छुट्टी पर भेज दिया. दूसरी ओर, ED (प्रवर्तन निदेशालय) के मुखिया राजेश्वर सिंह तीन माह की लंबी छुट्टी पर चले गए हैं. उधर, RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) के गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे की आशंका जताई जा रही है. देश के तमाम बड़े संस्थानों में इस तरह की खींचतान से केंद्र सरकार पर तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं, वहीं विपक्षी दल संस्थानों के राजनीतिकरण का आरोप लगाकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही हैं.
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CBI Vs CBI
सीबीआई में टॉप वन और टॉप टू अधिकारियों में शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई के बाद पिछले हफ्ते केंद्र सरकार की कैबिनेट कमेटी ऑफ अप्वाइंटमेंट ने दोनों अफसरों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था. इसके अलावा, एम नागेश्वर राव को CBI का अंतरिम निदेशक बनाया गया था. आलोक वर्मा ने केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. दूसरी ओर, सीबीआई में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की संस्था कॉमन कॉज ने भी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली थी. दोनों याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ सुनवाई की और मामले की जांच CVC (केंद्रीय सतर्कता आयोग) से कराने का आदेश दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि रिटायर जज की निगरानी में जांच की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में एम नागेश्वर राव के अधिकार को सीमित कर दिया था और नीतिगत फैसले न लेने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम निदेशक बनने के बाद से नागेश्वर राव द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी भी सीलबंद लिफाफे में मांगी थी.
ED मुखिया लंबी छुट्टी पर
CBI के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय के मुखिया राजेश्वर सिंह तीन माह की लंबी छुट्टी पर चले गए हैं. राजेश्वर सिंह के छ्ट्टी पर चले जाने के बाद अब एक बार फिर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं. राजेश्वर सिंह के छुट्टी पर जाने के बाद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया, ‘सीबीआई नरसंहार के खिलाड़ी अब ईडी के राजेश्वर को सस्पेंड करने वाले हैं, ताकि वह ‘पीसी (पी चिदंबरम, स्वामी उन्हें पीसी ही बोलते हैं)’ के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं कर सकें. अगर ऐसा हुआ तो मेरे लिए भ्रष्ट से लड़ने की कोई वजह नहीं रहेगी, क्योंकि मेरी सरकार उन्हें बचाने पर तुली है. ऐसे में मैंने भ्रष्टाचार के जो मामले दायर किए हैं उन सभी से हट जाऊंगा.’
अब RBI VS Govt
RBI और सरकार के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. यहां तक कि गवर्नर उर्जित पटेल इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं, ऐसा सूत्र बता रहे हैं. हालांकि सरकार द्वारा बयान जारी करने के बाद पटेल के रुख में नरमी बताई जा रही है. बुधवार को सरकार ने एक बयान जारी कर कहा, ‘सरकार केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का सम्मान करती है और समय-समय पर इसे बढ़ाया गया है. रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत रिजर्व बैंक की स्वायत्तता संचालन के लिए आवश्यक और स्वीकार्य जरूरत है. भारत सरकार इसका सम्मान करती है और इसे बढ़ाया ही गया है. बयान के अनुसार मंत्रालय ने कहा है कि रिजर्व बैंक और सरकार दोनों को अपनी कार्यप्रणाली में सार्वजनिक हित तथा देश की अर्थव्यवस्था की जरूरतों से निर्देशित होती हैं. इसी उद्देश्य के लिए विभिन्न मुद्दों पर सरकार और रिजर्व बैंक के बीच गहन विचार-विमर्श होता रहता है.’
2013 में RBI से जुड़े थे उर्जित
अर्थशास्त्री और बैंकर उर्जित पटेल को भारत के सेंट्रल बैंक में राजन के 'इनफ्लेशन लेफ्टिनेंट' के रूप में भी जाना जाता है. पटेल को जनवरी में तीन साल के लिए फिर से नियुक्त किया गया था. वे 11 जनवरी 2013 में आरबीआई से जुड़े थे. रघुराम राजन के आने से पहले ही वे RBI में आ गए थे. दोनों वाशिंगटन में आईएमएफ में साथ काम कर चुके थे. आरबीआई में आने से पहले वे बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप में थे. पटेल ने येल यूनिवर्सिटी से पीएचडी और ऑक्सफॉर्ड से एमफिल किया है. आरबीआर्इ में उनके नेतृत्व में बनाई गई कमेटी ने महंगाई मापने के लिए कई लैंडमार्क फैसले लिए.
टकराव के केंद्र में एस़ गुरुमूर्ति
एस गुरुमूर्ति को RBI बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक के रूप में अगस्त में नियुक्त किया गया था. नियुक्ति के बाद से रिजर्व बैंक के आला अफसर बैंक के फंक्शन में सरकार और आरएसएस के अप्रत्यक्ष दखल मान रहा था. एस गुरुमूर्ति अगले चार साल तक स्वतंत्र निदेशक के रूप में काम करते रहेंगे. रिजर्व बैंक के अधिकारी मान रहे हैं कि केंद्र सरकार ने धारा 7 को जो उपयोग किया, वह गुरुमूर्ति की ही सलाह की उपज थी.
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मोदी सरकार के खास रहे हैं उर्जित पटेल
रघुराम राजन के जाने के बाद मोदी सरकार ने अपने विश्वस्त उर्जित पटेल को रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त किया था. उस समय सरकार नोटबंदी के बाद से उपजी समस्याओं से जूझ रही थी और नि:संदेह उर्जित ने बहुत ही धैर्य से उस समय की समस्याओं से निजात दिलाई थी. कई बार संसदीय समिति के समक्ष भी उर्जित ने नोटबंदी को लेकर रिजर्व बैंक का पक्ष रखा. न सिर्फ नोटबंदी, बल्कि एनपीए (Non Profit Asset) और बैंकिंग घोटालों को लेकर भी संसदीय समिति ने उर्जित को तलब किया था.
अब स्वदेशी जागरण मंच के अध्यक्ष के बयान से विवाद
स्वदेशी जागरण मंच के अध्यक्ष अश्वनी महाजन ने विवादित बयान देते हुए कहा, आरबीआई (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल (Urjit Patel) या तो सरकार के साथ मिलकर आर्थिक विकास के लिए काम करें या फिर इस्तीफा दें.' आरएसएस (RSS) ही केंद्र में मोदी सरकार का वैचारिक सलाहकार है.
Source : News Nation Bureau