चीनी कंपनियां, एप के बाद अब मोदी सरकार की निगाहें इस पर, चीन को फिर लगेगा झटका

चीन को सबक सिखाने के लिए भारत लगातार कदम उठाया रहा है. मोदी सरकार किसी भी कीमत पर चीन को बख्शने के मूड़ में नहीं है.

author-image
Dalchand Kumar
New Update
PM Modi- Xi Jinping

चीनी कंपनियां, एप के बाद अब सरकार की निगाहें इस पर, चीन को लगेगा झटका( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

चीन (China) को सबक सिखाने के लिए भारत लगातार कदम उठाया रहा है. मोदी सरकार किसी भी कीमत पर चीन को बख्शने के मूड़ में नहीं है. पूर्वी लद्दाख में चीन ने दादागिरी दिखाई तो भारत ने भी उसकी हेकड़ी निकालने की ठान ली है. पहले चीन पर डिजिटल स्ट्राइक कर 100 से ज्यादा ऐप्स को बंद कर दिया. फिर तमाम चीनी कंपनियों के कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिए और अब भारत को कदम उठाने की तैयारी कर रहा है, उससे निश्चित ही चीन को तगड़ा झटका लगने वाला है. भारत की निगाहें अब उन शिक्षण संस्थानों पर हैं, जिसका सीधा संबंध चीन के साथ है.

यह भी पढ़ें: भारत-चीन के बीच आज कोर कमांडर स्तर की बैठक, इन बातों पर रहेगा इंडिया का फोकस

सुरक्षा एजेंसियों के अलर्ट के बाद सरकार की उच्च शिक्षा में कन्फ्यूशियस संस्थानों की वजह से बढ़ते चीनी प्रभाव को लेकर 7 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की समीक्षा करने की योजना है. आईआईटी, बीएचयू, जेएनयू, एनआईटी और चीनी संस्थानों समेत प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों के बीच शिक्षा मंत्रालय अब हस्ताक्षरित 54 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) की समीक्षा करने की तैयारी कर रहा है. इस संबंध में विदेश मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को पहले ही एक अधिसूचना जारी कर दी गई है.

उच्च स्तर के अधिकारियों के मुताबिक, भारत में जिन कन्फयूशियस संस्थानों की समीक्षा करने की योजना है, उनमें केआर मंगलम विश्वविद्यालय (गुरुग्राम), लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (जालंधर), मुंबई विश्वविद्यालय, वेल्लोर प्रौद्योगिकी संस्थान, ओ .पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, (सोनीपत), स्कूल ऑफ चाइनीज लैंग्वेज (कोलकाता) और भारथिअर विश्वविद्यालय (कोयंबटूर) शामिल हैं. नाम उजागर न करने की शर्त पर अधिकारियों ने यह भी बताया कि जेएनयू का भी एमओयू है.

यह भी पढ़ें: भारत में कोविड-19 के मामले 17 लाख के पार, पिछले 24 घंटे में मिले करीब 55 हजार मरीज

दरअसल, कन्फ्यूशियस संस्थानों को चीन के शिक्षा मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया जाता है, जिसका उद्देश्य चीनी भाषा और चीनी संस्कृति को बढ़ावा देना है. मगर चीनी प्रचार-प्रसार को लेकर अमेरिका समेत पूरी दुनिया में आलोचनाएं होती रही हैं. सितंबर, 2019 की बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के कई विश्वविद्यालय संस्थान द्वारा संचालित कार्यक्रमों को बंद कर चुके हैं. इसी की एक रिपोर्ट के बताया गया कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी के रैंकिंग सदस्य यह बातचीत करते हुए मिले कि कन्फ्यूशियस इंस्टीट्यूट बीजिंग की सॉफ्ट पावर को प्रोजेक्ट करने के लिए विदेशी प्रचार का हिस्सा हैं.

अब भारत में कन्फ्यूशियस संस्थान और एमओयू की समीक्षा करने की योजना ऐसे वक्त में बनाई जा रही है, जब पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत की सेनाएं एक दूसरे के आमने-सामने खड़ी हैं. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अक्साई चिन में 50 हजार से अधिक सैनिक के अलावा टैंकों, मिसाइलों और तोपों को सीमा पर तैनात कर रहा है. एलएसी पर उत्तराखंड के मध्य क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में भी चीनी सैनिकों की तैनाती में बढ़ाई जा रही है.

Modi Government china Ladakh China India
Advertisment
Advertisment
Advertisment