बिहार विधानसभा चुनाव समेत उपचुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस फिर बुरे दौर से गुजर रही है. चुनावों में देश की सबसे पुरानी पार्टी का प्रदर्शन लगातार खराब होता जा रहा है. उस पर करेला वह भी नीम चढ़ा की तर्ज पर खांटी कांग्रेसी पार्टी नेतृत्व को आईना दिखाने में रत्ती भर भी परहेज नहीं कर रहे हैं. कपिल सिब्बल तो कई मंच पर कांग्रेस की दुर्दशा का जिक्र कर चुके हैं. वह भी तब जब आलाकमान के बचाव में भी कई खांटी कांग्रेसी उतर आए. इस कड़ी में अब वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी मुंह खोल दिया है. वह सधे शब्दों में कहने से नहीं चूके कि चुनाव पांच सितारा संस्कृति से नहीं जीते जाते हैं. अब पांच सितारा संस्कृति को छोड़ने का वक्त आ गया है.
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कांग्रेस आम लोगों से कटी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस के नेता आम लोगों से पूरी तरह से कटे हुए हैं और पार्टी में पांच सितारा संस्कृति घर कर गई है. इसके साथ ही उन्होंने संगठनात्मक ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन का आह्वान किया. बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद उनका यह बयान आया है. इस चुनाव में पार्टी ने 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से वह केवल 19 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई. आजाद ने कहा कि ब्लॉक से लेकर जिला और राज्य स्तर तक चुनाव कराकर पार्टी के ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन की तत्काल जरूरत है.
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'विद्रोही नहीं, सुधारवादी हूं'
उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं को कम से कम चुनावों के दौरान पांच सितारा संस्कृति को छोड़ देना चाहिए. संगठनात्मक बदलाव के लिए पत्र लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल आजाद ने कहा कि वे सुधारवादी के रूप मुद्दे उठा रहे हैं, न कि विद्रोही के रूप में. उन्होंने दो टूक कहा कि जिला, ब्लॉक और राज्य स्तर पर लोगों और कांग्रेस नेताओं के बीच बहुत बड़ा फासला है. जनता से पार्टी का जुड़ाव एक सतत प्रक्रिया होनी चाहिए, न कि केवल चुनाव के दौरान. राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने कहा कि पार्टी के नेताओं को पांच सितारा संस्कृति को छोड़ देना चाहिए.
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सभी को हरेक विधानसभा का हो ज्ञान
उन्होंने कहा, 'प्रत्येक नेता को प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र का ज्ञान होना चाहिए. केवल दिल्ली से जाना और पांच सितारा होटलों में रहना और दो-तीन दिन बाद दिल्ली लौटना पैसे की बर्बादी के अलावा और कुछ नहीं है.' पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस की राज्य, जिला और ब्लॉक इकाइयों में सभी पदों के लिए चुनाव कराने की वकालत की. उन्होंने कहा, 'हमें पीसीसी, डीसीसी और बीसीसी को निर्वाचित करना चाहिए और इस संबंध में पार्टी के लिए एक कार्यक्रम बहुत जरूरी है.' आजाद ने कहा कि वह कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ पार्टी के हित में इन मुद्दों को उठा रहे है. उन्होंने कहा, 'हम सुधारवादी हैं, विद्रोही नहीं. हम नेतृत्व के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि, हम सुधारों का प्रस्ताव देकर नेतृत्व के हाथ मजबूत कर रहे हैं.'