कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) और सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) के बाद अब हरियाणा (Haryana) के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंदर सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hudda) ने भी नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) को संवैधानिक करार दिया है. भूपेंदर सिंह हुड्डा ने कहा, एक बार संसद से बिल पास होकर कानून बन गया तो मुझे लगता है कि यह संवैधानिक (Constitutional) है और कोई भी राज्य इसे अस्वीकार नहीं कर सकता और करना भी नहीं चाहिए. हालांकि विधिक रूप से इसका परीक्षण होना बाकी है.
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इससे पहले कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल (Kapil Sibbal) ने शनिवार को कहा था कि संसद से पास हो चुके नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू करने से कोई राज्य इनकार नहीं कर सकता और ऐसा करना असंवैधानिक होगा. पूर्व कानून एवं न्याय मंत्री ने केरल साहित्य उत्सव के तीसरे दिन कोझिकोड में कहा, जब सीएए (CAA) पारित हो चुका है तो कोई भी राज्य यह नहीं कह सकता कि हम इसे लागू नहीं करेंगे. यह संभव नहीं है और असंवैधानिक है.
उन्होंने कहा था, आप CAA का विरोध कर सकते हैं, विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर सकते हैं और केंद्र सरकार से (कानून) वापस लेने की मांग कर सकते हैं, लेकिन संवैधानिक रूप से यह कहना कि मैं इसे लागू नहीं करूंगा, अधिक समस्याएं पैदा कर सकता है. बता दें कि केरल सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में सीएए के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया था. केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए के साथ ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) का विरोध किया है.
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कपिल सिब्बल ने समझाया कि जब राज्य यह कहते हैं कि वह CAA-सीएए को लागू नहीं करेंगे तो उनका क्या मंतव्य होता है और वह ऐसा कैसे करेंगे. उन्होंने कहा कि राज्यों का कहना है कि वे राज्य के अधिकारियों को भारत संघ के साथ सहयोग नहीं करने देंगे. उन्होंने कहा कि एनआरसी, एनपीआर पर आधारित है और एनपीआर को स्थानीय रजिस्ट्रार लागू करेंगे. अब गणना जिस समुदाय में होनी है वहां से स्थानीय रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाने हैं और वे राज्य स्तर के अधिकारी होंगे.
दूसरी ओर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि सीएए (CAA) की संवैधानिक स्थिति संदेहास्पद है. उन्होंने कहा कि अगर सर्वोच्च न्यायालय (Supreme court) ने हस्तक्षेप नहीं किया तो यह कानून की किताब में कायम रहेगा और अगर कुछ कानून की किताब में हैं तो उसे सभी को मानना होगा.
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उन्होंने यह भी कहा, यह एक ऐसा मामला है जहां राज्यों में केंद्र के साथ बहुत गंभीर मतभेद है. राज्य सरकारों की अलग-अलग राय है. उन्हें अभी सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई घोषणा का इंतजार करना होगा. जब तक SC इस पर कुछ नहीं कहेगा तब तक अस्थायी है.
Source : News Nation Bureau