अभी राजस्थान सियासी संकट (Rajasthan Political Crisis) दूर हुआ नहीं था कि पंजाब (Punjab) में आंतरिक कलह ने कांग्रेस आलाकमान की पेशानी पर बल ला दिए. अब जो संकेत महाराष्ट्र (Maharashtra) से मिल रहे हैं, उससे तो पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की रातों की नींद उड़नी तय है. उद्धव ठाकरे (Udhav Thackeray) के नेतृत्व में महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार पर संकट के बादल मंडराने शुरू हो गए हैं. कांग्रेस-एनसीपी के समर्थन से बनी राज्य की पहली शिवसेना सरकार से गठबंधन के कई विधायक नाराज बताए जा रहे हैं. ऐसे ही करीब दर्जन भर एनसीपी (NCP) विधायकों ने बीजेपी से संपर्क साधा है.
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शुरुआत से ही लड़खड़ा रही है उद्धव सरकार
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में बेमेल गठबंधन करते हुए शिवसेना ने दशकों पुरानी साथी बीजेपी से गठबंधन तोड़ कांग्रेस-एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाई थी. सूबे के पहले शिवसैनिक मुख्यमंत्री बतौर शपथ लेने के साथ ही उद्धव ठाकरे के लिए मंत्रिमंडल के गठन और विभागों के बंटवारे को लेकर पहली चुनौती पेश आई. किस-किस पार्टी के कितने चेहरे और कौन से विभाग को लेकर खींचतान कई महीनों तक चली थी. इसके बाद भी विभागों के बंटवारे को लेकर तनाव की खबरें आती रहीं. हालांकि एनसीपी और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने अफवाहों को धता बता सब कुछ ठीक है का संदेश ही दिया. यह अलग बात है कि आपसी मतभेद भीतर ही भीतर सुलगते रहे.
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एनसीपी के दर्जन भर रुष्ट विधायक बीजेपी के संपर्क में
अब पता चला है कि उद्धव ठाकरे सरकार से नाराज एनसीपी के दर्जन भर विधायकों ने बीजेपी से संपर्क साधा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवसेना नीत गठबंधन सरकार से नाखुश चल रहे ये एनसीपी विधायक इस महीने के अंत में भाजपा का दामन थाम सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी समर्थित शिवसेना सरकार का भी गिरना तय है. फिलहाल राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 105 विधायक हैं तो एनसीपी 54 और शिवसेना के 56 विधायक हैं. कांग्रेस के 44 सदस्य हैं. एनसीपी के दर्जन भर विधायक टूटते ही तय है कि अन्य नाराज विधायक भी बीजेपी का दामन थाम सकते हैं.
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कांग्रेस शासित राज्यों में बीजेपी की राजनीति
यानी इस खबर के साथ ही कांग्रेस शासित एक और राज्य से सरकार जाती दिख रही है. बीते साल कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अपने बूते सरकार बनाई थी. मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होते ही कमलनाथ सरकार को जाना पड़ा था. कमोबेश यही स्थिति राजस्थान में नजर आ रही है, जहां अशोक गहलोत भले ही जीत का दावा कर रहे हों, लेकिन पायलट खेमे ने उनकी सरकार गिराने की पूरी तैयारी कर ली है. ऐसे में अब महाराष्ट्र में कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार पर भी संकट के बादल मंडराने शुरू हो गए हैं. कह सकते हैं कि अगले अध्यक्ष का चुनाव होने तक अध्यक्ष बनी रहने वाली सोनिया गांधी के लिए अब रातें काटनी और मुश्किल हो जाएंगी.