हिंदू महासभा ने अब कहा है कि अगर विभाजन के बाद भारत हिंदू राष्ट्र बनता, तो यहां CAA (नागरिकता संशोधन कानून) जैसे कानून की जरूरत ही नहीं पड़ती. विवादित बयानों के लिए प्रसिद्ध हिंदू महासभा के अध्यक्ष चक्रपाणि ने कहा कि अंग्रेजों के अविभाजित भारत छोड़कर जाने के बाद पाकिस्तान ने इस्लामिक राष्ट्र बनना स्वीकार किया, लेकिन एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनकर भारत ने सीएए को अनिवार्य कर दिया. गौरतलब है कि सीएए को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल जाने-अनजाने दुष्प्रचार ही कर रहे हैं.
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हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए था
उन्होंने कहा, 'अगर हमने एक हिंदू राष्ट्र बनने के बदले धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनना नहीं चुना होता, तो आज सीएए की कोई जरूरत नहीं होती.' हालांकि, सीएए भारत के बाहर मुख्य रूप से इन देशों में सताए हुए अल्पसंख्यकों के लिए है. सीएए कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न झेलकर भारत में 31 दिसंबर, 2014 और इससे पहले से रह रहे गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को स्वत: ही भारत की नागरिकता प्रदान करता है.
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विवादों से है पुराना नाता
इसके पहले स्वामी चक्रपाणि ने वीर सावरकर पर मध्य प्रदेश में बांटी गई विवादास्पद बुकलेट पर भी राहुल गांधी को लेकर बेहद तीखी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था सावरकर पर लगाए जाने वाले आरोप बेहूदा हैं. यही नहीं, उन्होंने कहा था कि सुना तो हमने भी है कि राहुल गांधी होमोसेक्सुअल हैं. इसके अलावा गो-मूत्र और भारत रत्न को लेकर भी स्वामी चक्रपाणि हमेशा काफी मुखर प्रतिक्रिया देते आए हैं. नागरिकता संशोधन कानून पर उनका हालिया हमला एक तरह से कांग्रेस पर ही आक्षेप है.
HIGHLIGHTS
- विवादित बयानों के लिए प्रसिद्ध हिंदू महासभा के अध्यक्ष चक्रपाणि ने सीएए पर दी राय.
- भारत ने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनना नहीं चुना होता, तो आज सीएए की कोई जरूरत नहीं होती.
- नागरिकता संशोधन कानून पर उनका हालिया हमला एक तरह से कांग्रेस पर ही आक्षेप.