कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि विपक्ष के नेताओं और प्रेस को जम्मू-कश्मीर में प्रशासनिक क्रूरता का अहसास हुआ. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने एक ट्वीट में कहा, "जम्मू-कश्मीर के लोगों की स्वतंत्रता और नागरिक आजादी पर अंकुश लगाए हुए 20 दिन हो गए हैं."राहुल गांधी समेत विपक्ष के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने पहले घाटी का दौरा करके अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद के हालात का जायजा लेने की मंशा जाहिर की थी.
इसी सिलसिले में 24 अगस्त को जब वे श्रीनगर हवाई अड्डा पहुंचे तो प्रदेश प्रशासन के अधिकारियों ने नेताओं को हवाई अड्डे से बाहर जाने की अनुमति नहीं दी. राहुल गांधी ने अधिकारियों को बताया कि वह राज्यपाल के आमंत्रण पर आए हैं. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि उन्हें समूह में नहीं बल्कि व्यक्तिगत रूप से घाटी का दौरा करने दिया जाए. लेकिन अधिकारियों ने नहीं माना, जिससे नेताओं के पास वापस दिल्ली लौटने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा.
गांधी ने बाद में ट्वीट के जरिए कहा कि विपक्ष और प्रेस को तब जम्मू-कश्मीर के लोगों पर किए जाए रहे कठोर बल प्रयोग और प्रशासनिक क्रूरता का अहसास हुआ जब उन्होंने शनिवार को श्रीनगर का दौरा करने की कोशिश की. राहुल गांधी ने स्थानीय प्रशासन के साथ उनकी बातचीत का वीडियो फुटेज भी प्रकाशित किया. एक अधिकारी ने उस आदेश को पढ़ कर सुनाया जो विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल की गतिविधि को लेकर जारी किया गया था.
राहुल गांधी ने वीडियो में आरोप लगाया कि प्रतिनिधिमंडल के साथ पहुंचे मीडिया के लोगों के साथ बदसलूकी की गई और उनको पीटा गया. उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य नहीं है. प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, के.सी. वेणुगोपाल, माकपा नेता सीताराम येचुरी, द्रमुक नेता त्रिची शिवा, एलजेडी नेता शरद यादव, तृणमूल कांग्रेस के दिनेश त्रिवेदी, भाकपा नेता डी. राजा, राकांपा के मजीद मेमन, राजद के मनोज झा और जेडीएस के डी. कुपेंद्र रेड्डी शामिल थे.