मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों पर राजनीति के साथ-साथ एनडीए में फूट भी बढ़ती जा रही है. सबसे पहले शिरोमणि अकाली दल ने साथ छोड़ा. उसके बाद हरियाणा में सहयोगी जननायक पार्टी ने आंखे दिखानी शुरू कर दी. अब इस कड़ी में राजस्थान की राष्ट्रीय़ लोकतांत्रिक पार्टी का नाम भी जुड़ गया है. आरएलपी ने न सिर्फ किसानों और अन्य विपक्षी दलों द्वारा 8 दिसंबर के आहूत भारत बंद का समर्थन किया है, बल्कि एनडीए का हिस्सा बने रहने पर भी मंगलवार के बाद फैसला करने की चेतावनी दे डाली है.
श्री @AmitShah जी,देश मे चल रहे किसान आंदोलन की भावना को देखते हुए हाल ही में कृषि से सम्बंधित लाये गए 3 बिलों को तत्काल वापिस लिया जाए व स्वामीनाथन आयोग की सम्पूर्ण सिफारिशों को लागू करें व किसानों को दिल्ली में त्वरित वार्ता के लिए उनकी मंशा के अनुरूप उचित स्थान दिया जाए !
— HANUMAN BENIWAL (@hanumanbeniwal) November 30, 2020
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राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने आठ दिसंबर को किसान संगठनों के 'भारत बंद' के आह्वान का समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि आरएलपी कृषि कानूनों के विरोध में है. केंद्र सरकार को इसे वापस लेना चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि आरएलपी एनडीए गठबंधन का हिस्सा रहेगी या नहीं, इस पर आठ दिसंबर के बाद फैसला करेंगे. गौरतलब है कि नए कृषि कानूनों के विरोध में शिरोमणि अकाली दल पहले ही केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए से अलग हो गई थी.
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नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब-हरियाणा समेत अन्य राज्यों के लाखों किसान पिछले बारह दिनों से दिल्ली और उसके बॉर्डर पर डटे हुए हैं. प्रदर्शनकारी किसानों ने भारत बंद के आह्वान के साथ ही यह चेतावनी भी दे डाली है कि यदि सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती तो आंदोलन तेज किया जाएगा और दिल्ली आने वाले तमाम मार्गों को रोक दिया जाएगा. कृषि कानूनों को निरस्त (रद्द) करने की मांग पर अड़े किसानों और केंद्र सरकार के बीच कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही है. इस गतिरोध को खत्म करने पर अभी तक कोई सहमति नहीं बन सकी है. किसान नेता अब सरकार के साथ नौ दिसंबर को छठे दौर की बातचीत करेंगे.