भारत ने अपने दक्षिण एशियाई पड़ोसियों को कोरोना वायरस वैक्सीन भेजने के बाद अब अफ्रीका में वैक्सीन भेजी है. रॉयल एयर मैरोक प्लेन भारत से मोरक्को की राजधानी रबात के लिए रवाना हुआ. रबात में भारतीय दूतावास ने ट्वीट किया, 'भारत और मोरक्को के बीच उत्कृष्ट संबंधों की अभिव्यक्ति में, दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और एस्ट्राजेनेका व ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोविड-19 वैक्सीन की पहली खेप आज भारत से मोरक्को के लिए भेजी गई है.'
दूतावास ने बाद में अपने स्वयं के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि यह वैक्सीन सभी के लिए वहन करने योग्य (अफोर्डेबल) है. बीते सप्ताह की शुरुआत में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अफ्रीकी देशों के राजदूतों से मुलाकात की थी. उन्होंने ट्वीट किया, 'हमारी बातचीत में कोविड रिकवरी, वैक्सीन, हवाई यात्रा और डिजिटल अनुभव शामिल रहे. साथ ही भारत की वर्तमान प्राथमिकता और चुनौतियों के बारे में भी बात की गई.'
इसके साथ ही जयशंकर ने आईएएफएस (भारत-अफ्रीका फॉरम समिट) में भारत के हितों को लेकर भी आश्वस्त किया. जयशंकर ने संकेत दिया कि अफ्रीकी राजदूतों के साथ उनकी बातचीत में वैक्सीन और रिकवरी को लेकर भी बातचीत हुई है. बहुपक्षीय एजेंसियों सहित अफ्रीकी देश विकसित दुनिया द्वारा टीके की जमाखोरी से चिंतित हैं. कनाडा ने प्रति व्यक्ति पांच खुराक देने के लिए पर्याप्त टीकों का संग्रह किया है. अन्य पश्चिमी देशों ने भी वैक्सीन निर्माताओं से अपनी जरूरतों से कहीं अधिक टीकों को रिजर्व या एडवांस बुकिंग करवाई है. वैक्सीन की इस तरह की जमाखोरी से गरीब देशों की चिंता बढ़ गई है.
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