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भगदड़ के बाद उठे सवाल, वैष्णो देवी मंदिर में बदल सकता है दर्शन का तरीका

मंदिर में भीड़ से बचने के लिए अब दर्शन के तरीके के बदलाव की चर्चा चल रही है. अब मंदिर में दर्शन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था, एलईडी स्क्रीन पर आरती का प्रसारण जैसी व्यवस्थाएं भी की जा सकती है.

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Vijay Shankar
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Vaishno devi Temple

Vaishno devi Temple ( Photo Credit : File Photo)

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Mata Vaishnodevi Stampede : माता वैष्णो देवी भवन (Vaishno devi bhawan) में मची भगदड़ (Stampede) के दौरान बाल-बाल बचे लोगों ने श्राइन बोर्ड (Shrine Board) पर ठीकरा फोड़ा है. इस घटना के बाद जम्मू (Jammu) और कटरा (Katra) में मौजूद श्रद्धालुओं ने श्राइन बोर्ड के खिलाफ नारेबाजी की है. घटना को लेकर चारों तरफ निंदा हो रही है. इस घटना ने सभी को हिला दिया है. इससे एक साथ कई सवाल भी पैदा हो रहे हैं. वैष्णो देवी भवन में भीड़ को लेकर श्राइन बोर्ड पर सवाल उठ रहे हैं. भगदड़ में हुई मौत के बाद अब दर्शन करने के तरीके में बदलाव की बात उठनी शुरू हो गई है. 

यह भी पढ़ें : वैष्णो देवी भवन में क्यों मची भगदड़? आधी रात में कैसे कुचलते हुए निकले लोग

ऑनलाइन दर्शन की तैयारी

मंदिर में भीड़ से बचने के लिए अब दर्शन के तरीके के बदलाव की चर्चा चल रही है. अब मंदिर में दर्शन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था, एलईडी स्क्रीन पर आरती का प्रसारण जैसी व्यवस्थाएं भी की जा सकती है. हालांकि इस तरह की व्यवस्थाएं पहले से ही तिरुपति बालाजी मंदिर में इस्तेमाल किए जा रही हैं. 

35,000 को दर्शन की दी गई थी अनुमति

माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने कहा कि शनिवार की भगदड़ तीर्थयात्रियों के दो समूहों के बीच झगड़े के कारण हुई। बोर्ड ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि महामारी के मद्देनजर 50 हजार की क्षमता के मुकाबले केवल 35,000 श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति दी गई थी।

कहां है माता वैष्णो देवी भवन

अर्द्धकुवारी गुफा से चलकर सीधा पड़ाव वैष्णोदेवी माता भवन है. यह भवन मंदिर से कुछ दूरी पर ही मौजूद है. यहां पहुंचते ही चारों तरफ माता के जयकारों की गूंज सुनाई देती है. इस भवन में कीमती सामान लॉकर में रखने की सुविधा है. भक्तों की यहां हमेशा भीड़ रहती है. 

कब हुआ था श्राइन बोर्ड का गठन

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड का गठन अगस्त, 1986 में जम्मू और कश्मीर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत हुआ था. अगस्त 1988 में जम्मू और कश्मीर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन अधिनियम के अंतर्गत इसका पुनर्गठन किया गया था. श्री माता वैष्णो देवी की यात्रा का संचालन और व्यवस्था का ध्यान और वहां पर होने वाले चढ़ावे का ध्यान बोर्ड द्वारा रखा जाता है जिसमें एक अध्यक्ष और दस से अधिक सदस्य नहीं होते हैं. जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल इस बोर्ड के अध्यक्ष होते हैं.

क्या है श्राइन बोर्ड की जिम्मेदारी

इसका मुख्य उदेश्य श्री माता वैष्णो देवी के पवित्र स्थल का बेहतर ढंग से संचालन और व्यवस्था करने के साथ-साथ वहां पर चढ़ाए जाने वाले चढ़ावे सहित जमीन और इमारतों आदि का भी ध्यान रखना है. श्राइन बोर्ड के गठन से पूर्व यात्रा की व्यवस्था का अधिकार एक प्राइवेट ट्रस्ट के पास हुआ करता था.

12 लोगों की हुई थी मौत

जम्मू कश्मीर में माता वैष्णो देवी भवन में नए साल पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में 12 लोगों की मौत हो गई थी. घटना में 16 अन्य घायल हो गए थे. यह भगदड़ तीर्थयात्रियों के दो समूहों के बीच झगड़े के कारण हुई थी. महामारी के मद्देनजर 50 हजार की क्षमता के मुकाबले केवल 35,000 श्रद्धालुओं को यात्रा की अनुमति दी गई थी.

क्षमता से अधिक भीड़ को लेकर उठ रहे सवाल

घटना की शुरुआती जांच में ये बात सामने आ रही है कि दर्शन के लिए एक दिन का कोटा जहां 25 हजार का है वहीं घटना के वक्त मंदिर परिसर में 50 हजार से 60 हजार लोग मौजूद थे.  कहा जा रहा है कि बड़ी संख्या में बिना पंजीकरण करवाए लोगों को भवन की ओर जाने दिया गया. इससे वहां भीड़ बढ़ गई. 


यात्रा से पहले पंजीकरण जरूरी

श्रद्धालुओं को सबसे पहले अपना पंजीकरण कराना जरूरी होता है. यह पंजीकरण आपको कटरा में यात्रा शुरू करने से पहले ही होता है. हालांकि इसके लिए आपको कोई भुगतान नहीं करने होंगे. पंजीकरण की पर्ची मिलने के बाद ही आपको 6 घंटे के अंदर बाणगंगा में पहली चेक पोस्ट को पार करना होगा. 

HIGHLIGHTS

  • घटना में बाल-बाल बचे लोगों ने श्राइन बोर्ड पर ठीकरा फोड़ा
  • दर्शन के लिए ऑनलाइन जैसी व्यवस्थाएं हो सकती है शुरू
  • घटना में 12 लोगों की हुई थी मौत, 16 लोग हुए थे घायल
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