दौसा में भूमि अधिग्रहण को लेकर आंदोलनरत किसानों के प्रतिनिधिमंडल और सरकार के बीच हुई वार्ता में सभी मुद्दों पर सहमति बन गई. प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता को सकारात्मक बताते हुए संतुष्टि जाहिर की और धरनास्थल पर जाकर आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की. किसान संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक हिम्मत सिंह गुर्जर ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर अधिकारियों के साथ सकारात्मक माहौल में हुई बैठक में किसान हित में कई निर्णय लिए गए और हमारे सभी बिन्दुओं को सरकार ने मान लिया है. इसके साथ ही हमने प्रतिनिधिमंडल के साथ विचार-विमर्श कर आंदोलन समाप्त करने का निर्णय लिया है.
अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह राजीव स्वरूप की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में किसानों के प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई वार्ता में किसान हित के सभी मुद्दों पर सहमति बनी. राजीव स्वरूप के अनुसार दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस हाइवे एवं अमृतसर-जामनगर व्यापारिक कोरिडोर के लिए पुनः परीक्षण के दौरान काश्तकार अथवा किसान संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे. मुआवजा निर्धारण के संबंध में एनएचएआई अधिकारियों ने बताया कि कानून में विहित प्रावधानों के अनुसार ही निर्धारण किया गया है. राजस्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने स्पष्ट किया कि विहित प्रावधानों के अनुसार ही मुआवजा निर्धारण किया जा सकता है.
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने बताया कि जिन काश्तकारों की भूमि अवाप्ति में चली गई है उन्हें अन्य स्थान पर जमीन खरीदते समय स्टाम्प शुल्क से मुक्ति प्रदान करने के लिए विधिक परीक्षण कर उपलब्ध विकल्पों पर विचार किया जाएगा. स्वरूप ने बताया कि प्रभावित काश्तकारों को प्राथमिकता से रोजगार में नियोजित किया जाएगा. एनएचएआई अधिकारियों ने बताया कि पूर्व में ही दो सौ स्थानीय लोग परियोजना में कार्यरत हैं. उल्लेखनीय है कि दौसा जिले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत की जा रही भूमि का चार गुना मुआवजा देने की मांग को लेकर किसानों ने 23 जनवरी से भूमि समाधि सत्याग्रह शुरू किया था.
Source : Bhasha