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कृषि बिल तो बहाना है, शिरोमणि अकाली दल तो पहले से था बीजेपी से 'SAD'

यह पहला मौका नहीं था जब भगवा पार्टी और शिअद के बीच मतभेद देखने को मिला. विभिन्न विधानों सहित कई मुद्दों पर भी दोनों दलों के अलग-अलग रुख देखने को मिल चुके हैं.

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Nihar Saxena
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Sukhbir Singh Harsimrat Kaur Badal

कृषि बिल तो बहाना बना सुखबीर और हरसिमरत कौर बादल के लिए.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने कृषि विधेयकों को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) छोड़ दिया, लेकिन उसका पुराने सहयोगी दल भाजपा (BJP) के साथ संबंधों में तनाव साल भर से अधिक समय पहले से उभरना शुरू हो गया था. संसद में तीन कृषि विधेयकों के हाल ही में पारित होने को लेकर किसानों के आंदोलन के पंजाब में जोर पकड़ने के बीच शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir SIngh Badal) ने शनिवार रात राजग (एनडीए) छोड़ने के फैसले की घोषणा की. हालांकि, यह पहला मौका नहीं था जब भगवा पार्टी और शिअद के बीच मतभेद देखने को मिला. विभिन्न विधानों सहित कई मुद्दों पर भी दोनों दलों के अलग-अलग रुख देखने को मिल चुके हैं.

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CAA पर भी रुख था अलग
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के पर पिछले साल शिअद ने कहा था किसी खास धर्म का उल्लेख नहीं किया जाना चाहिये और सभी धर्मों के शरणार्थियों को नागरिकता हासिल करने का अधिकार मिलना चाहिए. हालांकि पार्टी ने पिछले साल संसद में इस विवादास्पद कानून के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन उसने यह भी कहा था कि वह किसी भी धार्मिक समुदाय को इस कानून के दायरे से बाहर रखे जाने के खिलाफ है.

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दिल्ली विस चुनाव नहीं लड़ी शिअद
दोनों दलों के बीच सबकुछ अच्छा नहीं चलने के बारे में पहला संकेत तब मिला, जब शिअद ने इस साल की शुरूआत में हुए दिल्ली विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ने का विकल्प चुना था. शिअद के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा और मनजिंदर सिंह सिरसा ने तब कहा था कि पार्टी भाजपा के साथ गठजोड़ कर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन उसके पास दो ही विकल्प बचे थे या तो वह सीएए को लेकर रुख पर पुनर्विचार करे या फिर चुनाव लड़ने के खिलाफ फैसला करे.

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पाला बदलने से नाराज था शिअद
साल भर पहले शिअद और भाजपा के बीच मतभेद उस वक्त उभर कर सामने आ गया जब हरियाणा में कालांवाली से शिअद के एकमात्र विधायक बलकौर सिंह अक्टूबर 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले भाजपा में शामिल हो गये. तब, शिअद प्रमुख बादल ने इसे लेकर भाजपा की आलोचना की थी और कहा था कि भगवा पार्टी ने यह ‘अनैतिक और दुर्भाग्यपूर्ण’ काम किया है. शिअद के दिल्ली विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला करने के कुछ ही दिनों बाद भाजपा के कई नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया था कि भगवा पार्टी के कार्यकर्ताओं का सपना पंजाब में अपनी सरकार बनते देखना है.

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बीजेपी का पंजाब में अपनी सरकार का सपना
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया ने जनवरी में कहा था कि पार्टी के हर कार्यकर्ता का सपना है कि पंजाब में भाजपा की सरकार बने. पार्टी के एक अन्य नेता मदन मोहन मित्तल ने 2022 के विधानसभा चुनाव में राज्य में 50 प्रतिशत सीटों पर चुनाव लड़ने की हिमायत की थी. शिअद का राजग से गठबंधन 1997 में हुआ था. पंजाब भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोरंजन कालिया ने रविवार को कहा कि भाजपा ने हमेशा ही शिअद के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि पार्टी 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने के लिये और अकेले ही इसे जीतने के लिये तैयार है.

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