अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप ने कहा कि मोदी के विकास के दावे हल्के व फर्जी हैं और कारपोरेट के विकास के पक्ष में हैं. जैसा कि देश के किसानों पर उनकी मर्जी के खिलाफ 3 खेती के कानून का थोपा जाना साबित करता है. कल एएमयू के वक्तव्य में मोदी द्वारा किये गये दावे जमीनी सच्चाई के विपरीत है. गुजरात में बड़ी संख्या में किसानों ने 25 दिसंबर को मोदी और रुपानी सरकारों के कुशासन के खिलाफ विरोध सभाएं करने का निर्णय लिया है. किसानों की बड़ी संख्या में आत्महत्याएं जारी हैं, क्योंकि कर्जे बढ़ रहे हैं, जमीनें छिन रही हैं. एनएसएसओ के 2011 के आंकड़े बताते हैं कि 10 सालों में गुजरात के 3.55 लाख किसान गायब हो गये, जबकि 17 लाख कृषि मजदूरों की संख्या बढ़ गयी. यह मुख्य रूप से मोदी सरकार के निर्यात आधारित ठेका खेती की वजह से हुआ. भाजपा शासन के दौरान नर्मदा बांध का पानी भी खेती से हटाकर उद्योगों व साबरमती रीवर वाटर फ्रंट को दिया गया. जिसके कारण हर साल किसान पानी के लिए त्रस्त रहते हैं.
एआईकेएससीसी ने कहा कि कृषि मंत्री का ये दावा कि ठेका खेती में किसानों की जमीनें नहीं छिनेंगी, एक बड़ा झूठ है. नये ठेका खेती कानून की धारा 9 के अनुसार किसान अपने खर्च वित्तीय संस्थाओं से अलग अनुबंध करके प्राप्त कर सकते हैं. जिसका अर्थ है कि उनकी जमीन व सम्पत्ति गिरवी रखी जाएगी. धारा 14(2) कहती है कि कम्पनी कि किसान को दिया गया उधार धारा 14(7) के अन्तर्गत ‘‘भू-राजस्व का बकाया’’ के रूप में वसूला जाएगा. किसान संगठनों तथा एआईकेएससीसी के आह्नान पर आज पूर्व प्रधानमंत्री व किसान नेता चरण सिंह के जन्मदिन को किसान दिवस के रूप में दोपहर का भोजन न खाकर मनाया गया. इस बीच अम्बानी व अडानी की कम्पनियों के सामान के बहिष्कार की तैयारी तेज की जा रही है.
पश्चिम उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक से जत्थों के आने के साथ सभी धरनों पर संख्या बढ़ती जा रही है. कल से पुलिस ने भोपाल में चल रहे धरने और इसमें भाग लेने के लिए आ रहे लोगों की गिरफ्तारी तेज कर दी है. एआईकेएससीसी ने चेतावनी दी है कि अगर भाजपा सरकारों ने अपने राज्यों में इस तरह के दमन को नहीं रोका तो पूरे देश में संघर्ष बढ़ेगा. कल उत्तर प्रदेश पुलिस और दिल्ली पुलिस को गाजीपुर आ रहे लोगों को रोकने के कारण लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा था.
Source : News Nation Bureau