सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से सवाल किया कि वह विदेशी नागरिक क्रिश्चियन मिशेल को कब तक सलाखों के पीछे रखेगा और कहा कि यदि वह भारतीय था, तो इसी तरह के हालात में उसे जमानत मिल जाती. अगस्ता वेस्टलैंड मामले में सीबीआई और ईडी की जांच का सामना कर रहे मिशेल ने अपनी जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी.
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि मुकदमे की जटिलता हमें चिंतित कर रही है. 250 से ज्यादा गवाहों की जांच की जानी है और आरोपी को सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी गई है. पीठ ने कहा कि प्राथमिकी 2013 में दर्ज की गई थी और मुकदमा शायद ही आगे बढ़ा हो. पीठ ने कहा कि मिशेल साढ़े चार साल से अधिक समय से जेल में है, सिर्फ इसलिए कि वह विदेशी है.
प्रधान न्यायाधीश ने केंद्रीय एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने कहा, आप उसे कब तक हिरासत में रखेंगे, वह विदेशी नागरिक है.. यदि वह भारतीय नागरिक होता तो (इसी तरह के हालात में) उसे जमानत मिल जाती..स्वतंत्रता का हनन कैसे जायज है? मिशेल के वकील ने दलील दी कि उसका मामला सीआरपीसी की धारा 436ए के तहत आता है और उसके मुवक्किल ने अपराधों के लिए पांच साल की अधिकतम सजा लगभग पूरी कर ली है. उन्होंने जोर देकर कहा कि एक भगोड़े पर केवल प्रत्यर्पण संधि में उल्लिखित अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है और उसके मुवक्किल पर धारा 120बी, 415, 420 के तहत आरोप लगाए गए हैं.
वकील ने कहा किया कि मिशेल को एक अपराध के लिए प्रत्यर्पित किया गया था, जिसकी सजा 5 साल है और उसने लगभग 5 साल पूरे कर लिए हैं. उन्होंने आगे तर्क दिया कि यह बहुत कम संभावना है कि परीक्षण अगले कुछ वर्षो में आगे बढ़ेगा. जांच 9 साल से चल रहा है. राजू ने तर्क दिया कि प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 की धारा 21 को संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि के साथ पढ़ा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि धारा 21 में कहा गया है कि जब किसी व्यक्ति को किसी विदेशी राज्य द्वारा आत्मसमर्पण किया जाता है, तो ऐसे व्यक्ति पर अपराध के लिए भारत में मुकदमा नहीं चलाया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इस प्रावधान को संधि के साथ पढ़ा जाना चाहिए, जिसमें प्रावधान है कि ऐसे व्यक्ति पर भी संबंधित अपराध के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है. पीठ ने संधि और कानून के बीच संबंध पर चिंता व्यक्त की और कहा कि कानून कहता है कि हम केवल उसके लिए उस पर मुकदमा चला सकते हैं, जिसके लिए उसे आत्मसमर्पण या प्रत्यर्पित किया गया था और हमारी कानून द्वारा लगाई गई सीमा को एक संधि द्वारा हटाया नहीं जा सकता है.
इसने आगे कहा कि यह विचार का एक महत्वपूर्ण मामला है, संधि और कानून के बीच संबंध. पीठ ने इस मुद्दे पर राजू से नोट मांगा, ताकि अदालत तथ्यों के आधार पर कानून की व्याख्या कर सके. दलीलें सुनने के बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2023 के दूसरे सप्ताह में निर्धारित की.
3,600 करोड़ रुपये का कथित घोटाला अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद से संबंधित है. इस साल मई में शीर्ष अदालत ने सीबीआई और ईडी दोनों को नोटिस जारी किया था और मिशेल की जमानत याचिकाओं पर उनका जवाब मांगा था. मिशेल ने इस साल मार्च में पारित दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, मगर उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी.
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Source : IANS