एआईएडीएमके (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) के एक सांसद ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने 29 मार्च तक कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड का गठन नहीं किया तो उनकी पार्टी के सभी सांसद आत्महत्या कर लेंगे।
एआईएडीएमके सांसद ए नवनीताकृष्णन ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, 'हां मैने केंद्र सरकार को आगाह किया है कि अगर वो सुप्रीम कोर्ट की डेडलाइन के मुताबिक 29 मार्च तक कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड बनाने में विफल रहे तो हमारे सभी सांसद आत्महत्या कर लेंगे।'
बता दें कि 16 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल विवाद पर अपने ऐतिहासिक फैसले में तमिलनाडु की जल हिस्सेदारी घटाकर 177.25 टीएमसी फुट कर दी। जबकि कावेरी न्यायाधिकरण ने 2007 में राज्य के लिए 192 टीएमसी फुट पानी आवंटित किया था।
All India Anna Dravida Munnetra Kazhagam (AIADMK) MP A. Navaneethakrishnan says 'Yes I had threatened to commit suicide if the Centre failed to constitute a Cauvery Management Board by the March 29 deadline of Supreme Court.' pic.twitter.com/nxgVbJ9mIx
— ANI (@ANI) March 29, 2018
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अमिताव रॉय और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की पीठ ने कावेरी नदी से तमिलनाडु को होने वाली जल आपूर्ति को यह देखते हुए घटा दिया कि न्यायाधिकरण ने तमिलनाडु में नदी के बेसिन में उपलब्ध 20 टीएमसी फुट भूजल पर ध्यान नहीं दिया था।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, 'कुल मिलाकर हमने कर्नाटक को 14.75 टीएमसी फुट पानी अधिक देना उपयुक्त समझा, जोकि 10 टीएमसी फुट (तमिलनाडु में मौजूद भूजल) प्लस 4.76 टीएमसी फुट (बेंगलुरू शहर की जरुरत के मुताबिक) है।'
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कार्नाटक की हिस्सेदारी में बढ़ोतरी करने पर न्यायालय ने कहा, 'कर्नाटक को अब तमिलनाडु से सटी बिल्लीगुंडुलू अंतरराज्यीय सीमा पर 177.25 टीएमसी फुट पानी छोड़ना होगा।'
तमिलनाडु की हिस्सेदारी में कटौती करने पर न्यायालय ने कहा, 'हमने भूजल के अधिक दोहन से जुड़े जोखिमों को ध्यान में रखते हुए माना कि तमिलनाडु में मौजूद 10 टीएमसी फुट भूजल का तथ्य कावेरी नदी के पानी के बंटवारे में शामिल होना चाहिए।'
इसलिए कर्नाटक को अतिरिक्त 14.75 टीएमसी फुट पानी दिया जाएगा, जिसमें पीने के उद्देश्य से बेंगलुरू को मिलने वाले पानी में बढ़ोतरी की गई है।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि न्यायाधिकरण के अनुसार, केंद्र अंतरिम जल बंटवारा व्यवस्था के कार्यान्वयन के लिए 29 मार्च तक कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड की स्थापना करेगा और यह बोर्ड 15 वर्षों तक कार्य करेगा।
तमिलनाडु की हिस्सेदारी घटाने को छोड़कर बाकी न्यायाधिकरण के आदेशों से सहमति जताते हुए न्यायालय ने कहा कि सामने लाए गए सभी प्रासंगिक सामग्री पर विचार करने के बाद 'हम इस बात से सहमत हैं कि पानी की खपत की अर्थव्यवस्था की अनिवार्यता के संबंध में तमिलनाडु के लिए न्यायाधिकरण द्वारा अंतिम रूप से निर्धारित सिंचित क्षेत्र को गलत नहीं ठहराया जा सकता।'
न्यायालय ने कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण पर राष्ट्रपति के संदर्भ के अपने जवाब का जिक्र करते हुए कहा, 'किसी अंतरराज्यीय नदी का जल एक राष्ट्रीय संपत्ति है और कोई भी राज्य इन नदियों पर अपना दावा नहीं कर सकता।'
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Source : News Nation Bureau