बाबरी मस्जिद विवाद सुलझाने के बाद अब काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद गर्माने चरम पर पहुंचा दिख रहा है. वाराणसी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट के आदेश पर एएसआई की ओर से काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का काम चल रहा है. इस सर्वे का जहां मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना बताकर विरोध कर रहे हैं. वहीं, वाराणसी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट अपने फैसले पर अड़ा हुआ है. वहीं, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है.
इस बीच AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कोर्ट के इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कोर्ट के फैसला को मुस्लिम विरोधी हिंसा का रास्ता खोलने वाला बताया है. उन्होंने कहा है कि इस आदेश से अदालत 1980-1990 के दशक की रथ यात्रा के हुए खून-खराबे और मुस्लिम विरोधी दंगों का रास्ता खोल रही है. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने ट्वीट कर लिखा कि काशी की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने का ऑर्डर 1991 के पूजा स्थल अधिनियम का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है.
ओवैसी ने याद दिलाया है कि बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि यह अधिनियम भारत की धर्मनिरपेक्ष विशेषताओं की रक्षा करता है, जो कि संविधान की बुनियादी विशेषताओं में से एक है. AIMIM के प्रमुख ने कहा कि यह बहुत ही अफसोस जनक है कि एक अदालत की ओर से सुप्रीम कोर्ट की खुलेआम अवहेलना की जा रही है. ओवैसी ने ट्वीट कर इस आदेश की वैधता संदिग्ध बताया. उन्होंने लिखा है कि बाबरी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कानून में किसी टाइटल की फाइंडिंग ASI द्वारा पुरातात्विक निष्कर्षों पर आधारित नहीं हो सकती है. उन्होंने ASI पर हिंदुत्व के हर प्रकार के झूठ के लिए डिवाइस की तरह काम करने का आरोप भी लगाया है. ओवैसी ने ASI को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि इससे निष्पक्षता की उम्मीद नहीं करता है. ओवैसी ने कहा कि ASI सिर्फ धोखाधड़ी का पाप करेगी और फिर इसके आधार पर इतिहास दोहराया जाएगा, जैसा बाबरी मामले में हुआ था. वह बोले कि किसी भी व्यक्ति को मस्जिद की प्रकृति बदलने का कोई अधिकार नहीं है.
हाईकोर्ट जाएगा मुस्लिम पक्ष
इसके साथ ही ओवैसी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मस्जिद कमेटी को इस आदेश पर तुरंत अपील करना चाहिए और इसपर सुधार करवाना चाहिए. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है.
सर्वे का जमकर हुआ विरोध
गौरतलब है कि वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक के जज रवि कुमार दिवाकर ने बृहस्पतिवार को काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था. इसके साथ ही अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को अपने खर्च पर यह सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी किया था. इसके बाद शुक्रवार को वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद में पहले दिन का सर्वे शुक्रवार को किया गया. सर्वे और वीडियोग्राफी का काम का काम आज यानी शनिवार को एक बार फिर दोपहर तीन बजे से शुरू होगा. गौरतलब है कि सर्वे की टीम में कोर्ट कमिश्नर सहित हिंदू और मुस्लिम पक्ष के वादी और वकील शामिल थे. जब यहां टीम पहुंची थी तो दोनों पक्षों की ओर से जमकर नारेबाजी की गई थी.
HIGHLIGHTS
- अदालत के आदेश पर असदुद्दीन ओवैसी ने दी तीखी प्रतिक्रिया
- निचली अदालत के फैसले को बताया सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना
- बोले-मस्जिद की प्रकृति बदलने का किसी को कोई अधिकार नहीं
Source : News Nation Bureau