ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड निशाने पर आ गया है। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ट्रिपल तलाक को लेकर 'मुसलमानों के बीच भ्रम पैदा कर रहा है।'
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ की तरफ से ट्रिपल तलाक के मामले में सुनवाई पूरी किए जाने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसके बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में 13 पन्नों का हलफनामा देकर ट्रिपल तलाक देने वालों का बहिष्कार किए जाने की अपील की है।
मुस्लिम महिला आंदोलन ने कहा कि इस तरह के मामलों में ऐसा दिशानिर्देश जारी करना 'काफी नहीं' है।
सुप्रीम कोर्ट में ट्रिपल तलाक का विरोध कर चुकीं फराह फैज ने कहा, 'मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का काजियों और दुल्हों को ऐसा कोई निर्देश देने का कोई अधिकार नहीं है। यह एक पंजीकृत एनजीओ है, जिसका काजियों पर कोई अधिकार नहीं है। यह बस मुस्लिम समुदाय के बीच भ्रम फैला रहा है।'
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फैज ने कहा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऐसे किसी मामले पर कोई कानूनी और धार्मिक हैसियत नहीं रखता है और नहीं उसे ऐसा कोई दिशानिर्देश जारी करने का अधिकार है क्योंकि वह सामाजिक सुधारों के लिए काम करने वाली संस्था है।
फैज ने कहा शरिया कानून के मुताबिक निकाह में काजी का होना जरूरी नहीं और कोई मौलवी या व्यक्ति दो व्यस्कों के बीच शादी करा सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में केवल संसद को कोई दिशानिर्देश या सलाह देने का अधिकार है।
फैज के विचारों का समर्थन करते हुए वरिष्ठ एडवोकेट आनंद ग्रोवर ने कहा, 'जहां तक हम सभी का सवाल है, ट्रिपल तलाक का खत्म होना जरूरी है।' उन्होंने कहा, 'एआईएमपीएलबी एक निजी संगठन है और यह काजियों को निर्देश नहीं दे सकता।'
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HIGHLIGHTS
- ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड निशाने पर आ गया है
- भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ट्रिपल तलाक को लेकर 'मुसलमानों के बीच भ्रम पैदा कर रहा है
Source : News Nation Bureau