ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने रविवार को संकल्प लिया कि संसद में तीन तलाक विधेयक को पारित होने से रोकने का प्रयास जारी रखा जाएगा।
भारतीय मुसलमानों की शीर्ष संस्था ने यह भी संकेत दिया कि यदि विधेयक राज्यसभा में पारित भी हो जाता है तो इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है।
यह संकेत बोर्ड की 26वीं आम बैठक के बाद सामने आया है, जो रविवार को यहां संपन्न हो गई।
एआईएमपीएलबी के सचिव जफरयाब जिलानी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आम बैठक के दौरान बोर्ड के सदस्य और बंबई उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता यूसुफ हातिम मुछाला ने अपनी राय दी कि यदि विधेयक अपने मौजूदा रूप में राज्यसभा में पारित हो जाता है, तो उसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
उन्होंने आशा जाहिर की कि सर्वोच्च न्यायालय इस कानून को रद्द कर देगा।
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जिलानी ने कहा कि बोर्ड ने इस मुद्दे पर कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया है, लेकिन बैठक के दौरान इस पर चर्चा हुई।
बोर्ड ने एक बयान में कहा है कि विधेयक शरीयत और संविधान के खिलाफ है। 'केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया तलाक-ए-बिद्दत विधेयक महिला विरोधी है। यह महिलाओं के लिए अधिक मुश्किलें पैदा करेगा। यह शरीयत और संविधान के खिलाफ है।'
बयान में कहा गया है, 'बोर्ड इस विधेयक के खिलाफ देशभर में एक जागरूकता अभियान चलाएगा और विपक्षी पार्टियों के साथ भी समन्वय स्थापित करेगा, जो इस विधेयक का विरोध कर रही हैं। देशभर में महिलाओं के सशक्तीकरण को लेकर बैठकें लगातार आयोजित की जाएगी।'
एआईएमपीएलबी ने अपने हैदराबाद घोषणा-पत्र में कहा है कि देश एक बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रहा है।
घोषणा-पत्र में कहा गया है, 'इसके लोकतांत्रिक मूल्यों का लगातार ह्रास हो रहा है। अल्पसंख्यकों, खासतौर से मुस्लिमों और अन्य पिछड़ा वर्गो को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। इस्लामिक शरिया के खास पक्षों को बदलने की भी कोशिशें की जा रही हैं। इन हालात में मुसलमान खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।'
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Source : IANS