इन वजहों से अयोध्या मसले को दोबारा सुप्रीम कोर्ट ले जाएगा AIMPLB

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया है.

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Kuldeep Singh
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इन वजहों से अयोध्या मसले को दोबारा सुप्रीम कोर्ट ले जाएगा AIMPLB

प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया है. रविवार को करीब तीन घंटे तक चली इस बैठक में रिव्यू पिटीशन फाइल किए जाने पर सहमति बन गई. बोर्ड का मनना है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कई बातों को स्वीकार किया जबकि कुछ तथ्य कोर्ट से सामने सही से नहीं रख सके. इन्हें आधार बनाकर इस मामले में रिव्यू पिटीशन फाइल की जाएगी. बोर्ड की तरफ से राजीव धवन इस पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेंगे. बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा कि मस्जिद की जमीन के बदले में मुसलमान दूसरी कोई अन्य ज़मीन स्वीकार नहीं कर सकते हैं. मुसलमान किसी दूसरी जमीन पर अपना अधिकार लेने सुप्रीम कोर्ट नहीं गए थे, बल्कि मस्जिद की भूमि के लिए उच्चतम न्यायालय गए थे.

इन तथ्यों को बनाया जाएगा आधार

-बाबरी मस्जिद 1528 में बाबर के कमांडर मीर बाक़ी द्वारा बनवाई गई थी.
-857 से 16 दिसम्बर 1949 तक बाबरी मस्जिद में नमाज़ पढ़ी जाती थी.
-22/23 दिसम्बर की रात अवैध तरीके से रामजी की मूर्ति रख दी गई.
-बाबरी मस्जिद के बीच वाले गुम्बद के नीचे की भूमि को राम जन्म स्थान के रूप में पूजा जाना साबित नहीं हुआ है,
अतः सूट 5 के वादी संख्या 2 (जन्मस्थान) को Deity नहीं माना जा सकता है.
-कोर्ट ने माना है कि बाबरी मस्जिद का गिराया जाना असंवैधानिक था.
-कोर्ट ने माना है कि मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई.

सुप्रीम कोर्ट की इन बातों पर सहमत नहीं बोर्ड

-जब 22/23 दिसम्बर 1949 को रामचंद्र जी की मूर्तियां का रखा जाना अवैधानिक था तब अवैधानिक तरीके से रखी गई मूर्तियों को Deity कैसे मान लिया गया है.
-जब बाबरी मस्जिद पर में 1857 से 1949 तक मुसलमानों का कब्ज़ा तथा नमाज़ पढा जाना साबित हुआ है तो मस्जिद की ज़मीन को वाद संख्या 5 के वादी 1 को किस आधार पर दे दिया गया.

-संविधान के अनुच्छेद 142 का प्रयोग करते हुए कोर्ट ने इस बात पर विचार नहीं किया कि waqf act 1995 के तहत मस्जिद की जमीन के ट्रांसफर या एक्सचेंज को पूर्णतया बाधित किया गया है,
तो मस्जिद की जमीन के बदले में कोई दूसरी जमीन कैसे दी जा सकती है.

100 फीसद खारिज होगी याचिका पर फिर भी जाएंगे सुप्रीम कोर्ट - मौलाना अरशद मदनी
दूसरी तरफ पुनर्विचार याचिका दाखिल किए जाने के फैसले पर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Arshad Madani) ने कहा कि अयोध्‍या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ वे पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे. उन्होंने कहा कि इस बात की 100 फीसद संभावना है कि कोर्ट में हमारी याचिका खारिज हो जाए लेकिन फिर भी इस मामले को कोर्ट लेकर जाएंगे. यह हमारा कानूनी हक है.

Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो

Maulana Arshad Madni Zafaryab Jilani AyodhyaVerdict AIMPLB Meeting
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