एयर इंडिया (Air India) के पायलटों ने कंपनी के कार्मिक और वित्त विभागों पर खुलेआम भेदभाव करने का आरोप लगाते हुए प्रबंधन से कहा है कि यदि इस तरह का आचरण अबाध तरीके से जारी रहा तो कार्मिक निदेशक परिणामों के लिए जिम्मेदार होंगे. पायलटों के एसोसिएशन, इंडियन कॉमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन और इंडियन पायलट्स गिल्ड ने एयर इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक राजीव बंसल को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि प्रबंधन पायलटों के साथ भेदभाव कर रहा है. पायलटों ने कहा है कि हम आपसे अनुरोध करते हैं कि लंबित फाइलों और सभी पायलटों के बकाए को क्लीयर करने के लिए संबंधित विभागों को निर्देश दें.
यह भी पढ़ें: मंद पड़ी मॉनसून की चाल, दलहन, तिलहन फसलों को बारिश की दरकार
हमने सहज उड़ान संचालन सुनिश्चित करने के लिए ड्यूटी से आगे जाकर बिनाशर्त सहयोग किया है. इस खुलेआम भेदभाव और अन्य शिकायतों ने हमारे मनोबल को और इन विभागों में हमारे भरोसे को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. यदि इस तरह के आचरण निर्बाध तरीके से जारी रहे तो कार्मिक निदेशक इसके बाद के परिणामों के लिए जिम्मेदार होंगे.
यह भी पढ़ें: देश के आर्थिक पटरी पर लौटने की उम्मीद को लगा बड़ा झटका, लगातार चौथे महीने घटी मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी
पत्र में कहा गया है कि पायलटों के लिए समय पर कार्रवाई और भुगतान के मामले में कार्मिम और वित्त विभागों के उदासीन आचरण के बारे में आपको अवगत कराना चाहेंगे. पायलटों ने पूछा है कि जब स्वयं के लिए या अन्य सपोर्ट विभागों के लोगों के लिए प्रमोशन करने की बात होती है तो महामारी या राष्ट्रीय लॉकडाउन भी उनके उत्साह को नहीं रोक पाता. जब हमारे वेतन पर तात्कालिक सर्कुलर के जरिए तत्काल प्रभाव से पूर्व की तिथि से कटौती की जाती है, तो वही लोग हमारे अधिकारपूर्ण बकाये को क्लीयर करने या हमारी सेवा शर्तो का सम्मान करने में आना-कानी क्यों करते हैं?
यह भी पढ़ें: Gold Rate Today: आज सोने-चांदी में आ सकता है तेज उछाल, जानिए क्या बनाएं रणनीति
उदासीन आचरण के उदाहरण पेश करते हुए पायलटों ने कहा कि प्रबंधन और आईसीपीए के बीच एक जनवरी, 2016 के द्विपक्षीय वेतन समझौते के अनुसार, स्पेशल पे वृद्धि में जिक्र है कि ग्रेड में सेवा के वर्षो के अनुसार वार्षिक इंक्रीमेंट होगा. उन्होंने कहा है कि 2019 से स्पेशल पे में कोई इंक्रीममेंट नहीं हुआ. इस नियमित कार्य को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई, क्योंकि पायलट इसके प्रमुख लाभार्थी हैं। इसके अलावा सम्माननीय सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद 2016 के वेतन को आईपीजी के पायलटों पर अवैध तरीके से और एकतरफा थोपा गया है, जिनका एक अलग द्विपक्षीय वेतन समझौता है. पायलटों को टीएमयू (टेंपोरेरी मेडिकली अनफिट) बीमा मुआवजे का भुगतान समय पर कभी नहीं किया गया. पायलट अपनी फाइलों को लेकर एक विभाग से दूसरे विभाग तक दौड़ते रहते हैं। हमेशा विलंब वर्षो में होता है. पायलटों ने आरोप लगाया है कि कैप्टन या कमांडर ग्रेड वृद्धि समय पर कभी नहीं की गई, जबकि यह एक नियमित वार्षिक कार्य है. पायलटों ने पूछा है कि आखिर कार्मिक विभाग की अक्षमता की कीमत पायलट क्यों चुका रहे हैं?