राजधानी दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चलते इस बार पटाखों का शोर अपेक्षाकृत कम रहा, लेकिन फिर भी प्रदूषण से बुरा हाल है. पूरा एनसीआर का इलाका स्मॉग की चादर में लिपटा है. प्रदूषण के चलते लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है. आंकड़ों की मानें तो उत्तर भारत के शहरों में प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है, वहीं दक्षिण भारत में ये आंकड़े अभी लाल निशान तक नहीं पहुंचे हैं. एक तरफ दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स औसत 300 से ऊपर है, वहीं केरल में यह आधे से भी कम यानी 65 तक ही है. इससे दोनों जगह प्रदूषण का स्तर समझा जा सकता है.
दिवाली के अगले दिन गुरुवार सुबह 8 बजे तक के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों की मानें तो दिल्ली के जहांगीरपुरी में एयर क्वालिटी इंडेक्स सबसे खस्ताहाल में पहुंच गया है. 500 के पैमाने पर इस इलाके में एयर क्वालिटी इंडेक्स 381 पर पहुंच गया है. दिल्ली में सबसे खराब हालत वाले इलाकों में मुंडका टॉप टू का स्थान रखता है. वहां पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 370 के आसपास है तो बवाना भी 369 के साथ उसके ठीक पीछे है. आईटीओ का एयर क्वालिटी इंडेक्स 367 तो मथुरा रोड का 366 मापा गया है.
दिल्ली से बाहर उत्तर भारत के शहरों की बात करें तो पटना और लखनऊ एक-दूसरे को टक्कर दे रहे हैं. दोनों शहरों के हालात को लेकर हम कह सकते हैं देश भर में सबसे अधिक प्रदूषण यही है. पटना का एयर क्वालिटी इंडेक्स 423 तो लखनऊ का उससे भी आगे 429 तक पहुंच गया है. आप समझ सकते हैं कि वहां के लोग किस प्रकार सांस ले रहे होंगे और कैसे उन्हें घुटन हो रही होगी. एनसीआर में आने वाले गाजियाबाद में एयर क्वालिटी इंडेक्स 372 तो हरियाणा के गुरुग्राम में यह 343 तक पहुंच गया है. वहीं जयपुर में एयर क्वालिटी इंडेक्स अभी 200 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाया है. भारत के पश्चिमी हिस्से के शहर अहमदाबाद में एयर क्वालिटी इंडेक्स 321 तो मुंबई में 233 मापा गया.
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उत्तर भारत के प्रमुख शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स
- लखनऊ 429
- पटना 423
- जयपुर 198
- गाजियाबाद 372
- गुरुग्राम 343
- अमृतसर 225
दक्षिण भारत के प्रमुख शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स
- चेन्नई 118
- हैदराबाद 109
- बेंगलुरू 153
- तिरुअनंतपुरम 65
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बात सिर्फ दिवाली की नहीं
प्रदूषण को लेकर बात सिर्फ दिवाली तक सीमित नहीं रहनी चाहिए. हमें रोजाना की जिंदगी में भी इस बात का ख्याल रखना चाहिए. इसके लिए उत्तर भारत के लोगों को दक्षिण भारत से सीख लेनी चाहिए. चेन्नई में प्रदूषण कम है, जबकि वहां पटाखों की फैक्ट्रियां हैं.
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Source : News Nation Bureau