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भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण विफल हुआ एयरबस सौदा?

मुखबिर की रिपोर्ट में हेलीकॉप्टर सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप और संवेदनशील गोपनीय सूचनाएं लीक होना सरकार के लिए भी बेचैनी का सबब है।

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Deepak Kumar
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भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण विफल हुआ एयरबस सौदा?

विफल हुआ एयरबस सौदा

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कई देशों में रिश्वतखोरी की जांच से जूझ रही विमानन क्षेत्र की अंतर्राष्ट्रीय कंपनी एयरबस एक मुखबिर (व्हिसलब्लोअर) की रिपोर्ट से भारत में भी संकट में फंस गई है।

मुखबिर की रिपोर्ट में हेलीकॉप्टर सौदे में भ्रष्टाचार के आरोप और संवेदनशील गोपनीय सूचनाएं लीक होना सरकार के लिए भी बेचैनी का सबब है।

द इकॉनोमिक टाइम्स की शुक्रवार की रिपोर्ट के मुताबिक, एयरबस समूह ने भारतीय तटरक्षक के वास्ते दोहरे इंजन वाले 14 ईसी-725 हेलीकॉप्टर की निविदा के संबंध में मुखबिर के आरोपों की आंतरिक जांच सूचना रक्षा मंत्रालय को दी थी। यह सौदा तकरीबन 2,000 करोड़ रुपये का है। 

रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के लिए चेतावनी की बात यह थी कि मुखबिर द्वारा भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले इस पत्र के साथ कई अति गोपनीय दस्तावेज संलग्न थे।

एयरबर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'एयरबस मुखबिर के सभी आरोपों को काफी गंभीरता से लेकर ऐसे आरोपों की पूरी जांच करवा रही है, ताकि आचार नियमों के अनुपालन में किसी प्रकार की त्रुटि का पता चल सके। एयरबस भारत के कानून के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं व दायित्वों के अनुपालन के लिए पूरी तरह समर्पित है।'

उन्होंने कहा, 'एयरबस हेलीकॉप्टर कैंपेन से जुड़ी खबरों पर एयरबस कोई टिप्पणी नहीं करेगी।'

इससे पहले फरवरी में एयरबस ने कहा था कि उसे मिली वैध वाणिज्यिक बोली को 15 फरवरी से आगे नहीं बढ़ाया गया है, इसलिए यह समाप्त हो जाएगी। हालांकि एयरबस ने इस फैसले के संबंध में किसी प्रकार का ब्योरा देने व कारण बताने से इनकार कर दिया। 

लिहाजा कयास लगाया जा रहा है कि मुखबिर का आरोप दिसंबर में प्रकाश में आया था, जोकि हेलीकॉप्टर सौदे के लिए वाणिज्यिक बोली के आगे नहीं बढ़ाए जाने का कारण हो सकता है। 

ईटी की रिपोर्ट के मुताबकि, रक्षा मंत्रालय को भेजे गए गुमनाम पत्र में तटरक्षक के तीन अधिकारियों पर एयरबस की मदद करने के लिए बेंचमार्क मानदंड बदलने और स्पेयर इंजन की कीमतों की गणना को गुप्त रखने का आरोप लगाया गया। 

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रिपोर्ट में यह भी आरोप है कि भगोड़े हथियार विक्रेता संजय भंडारी और पूर्व सलाहकार दीपक तलवार ने एयरबस के लिए एजेंट का काम किया है। जांच एजेंसियों द्वारा मामला दर्ज करने के बाद दोनों देश छोड़कर भाग चुके हैं। 

एयरबस ने बताया कि तटरक्षक की हैवी ड्यूटी चॉपर की जरूरतों को पूरा करने के लिए वह केंद्र सरकार के साथ काम कर रही है। 

एयरबस के प्रवक्ता ने कहा, 'एयरबस सबसे कम मूल्य के बोलीदाता के रूप में उभरने के बाद दोहरे इंजन वाले 14 हैवी ड्यूटी चॉपर की जरूरतों की पूर्ति के लिए भारतीय तटरक्षक और रक्षा मंत्रालय के साथ काम कर रही है।'

विदेशी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एयरबस समूह की समस्या तब शुरू हुई, जब 2014 में आपूर्तिकर्ता के भुगतान की आंतरिक समीक्षा के दौरान एयरबस की अनियमितताएं प्रकाश में आईं। 

पिछले साल अक्टूबर में एयरबस ने कहा कि सौदा करने के लिए सेल्स एजेंट की फीस चुकाने के कारण उसने हथियार निर्यात में अमेरिकी कानून का उल्लंघ किया होगा। आस्ट्रिया और जर्मनी में भी 2003 में हुए 2.1 अरब के यूरोफाइटर जेट सौदे में रिश्वतखोरी की जांच चल रही है। 

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Source : IANS

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