वायुसेना दिवस: जानें, देश की पहली 3 महिला फाइटर जेट पायलट की कहानी

तीनों महिला फाइटर जेट पायलट महिलाएं तीन हफ्तों की कड़ी ट्रेनिंग के बाद पहली बार अगले महीने फाइटर जेट उड़ाएंगी।

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Deepak Kumar
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वायुसेना दिवस: जानें, देश की पहली 3 महिला फाइटर जेट पायलट की कहानी

भारत की पहली तीन महिला फाइटर पायलट

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देश की पहली तीन महिला फाइटर पायलट इतिहास रचने जा रही हैं। तीनों महिला फाइटर जेट पायलट महिलाएं तीन हफ्तों की कड़ी ट्रेनिंग के बाद पहली बार अगले महीने फाइटर जेट उड़ाएंगी। देश की शान बनी यह तीनों महिलाएं अवनी चतुर्वेदी, भावना कांत और मोहाना सिंह पिछले साल जुलाई में फ्लाइंग ऑफिसर नियुक्त की गई थी। 

यह नियुक्ति सरकार के महिलाओं के लिए लड़ाकू स्ट्रीम में एंट्री के प्रयोगात्मक तौर पर फैसला लेने के एक साल से भी कम समय में की गई है। गुरुवार को IAF (इंडियन एयरफोर्स) प्रमुख बीएस धनोआ ने इस बारे में संवाददाताओं से कहा, 'आपको यह जानकर खुशी होगी कि उनका प्रदर्शन बेहतरीन और दूसरे पायलटों की तरह ही रहा है।'

वायुसेना प्रमुख ने बताया कि तीन महिला प्रशिक्षु पायलटों का अगला बैच जुलाई में चुना गया है और वर्तमान में वे लड़ाकू पायलट प्रशिक्षण के दूसरे चरण में हैं। धनोआ ने कहा, 'प्रशिक्षण के सफलतापूर्वक पूरा होने पर तीन महिला लड़ाकू पायलटों को इस वर्ष दिसम्बर में लड़ाकू श्रेणी में कमीशन दिया जाएगा।'

आइए जानते हैं इन तीनों महिला पायलट के बारे में जो IAF में बतौर फाइटर जेट पायलट शामिल होने वाली हैं-

अवनी चतुर्वेदी
 
पूर्व रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने मध्यप्रदेश के रेवा ज़िले की रहने वाली अवनी और अन्य दोनों महिला पायलट की कॉम्बेट भूमिका में जून 2016 में नियुक्ति की थी। 22 साल की अवनी चतुर्वेदी की ट्रेनिंग हैदराबाद एयरफोर्स अकादमी में हुई।

मध्यप्रदेश से स्कूली शिक्षा लेने वाली अवनी ने साल 2014 में राजस्थान की वनस्थली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की और इंडियन एयर फोर्स की परीक्षा भी पास की।  

अवनी के भाई भी सैन्य अधिकारी है। वो सेना से जुड़े अपने परिवार के अन्य सदस्यों से प्रभावित थी और उन्होंने कॉलेज के फ्लाइंग क्लब में कुछ घंटे हवाई उड़ान का अनुभव भी लिया था। यहीं से अवनी ने एयरफोर्स में जाने की ठानी। 

भावना कांत

बिहार के बेगुसराय की बेटी भावना का बचपन से ही एयर फोर्स पायलट बनने का सपना था। हालांकि एक साल पहले तक हवाई जहाज के कॉकपिट में महिलाओं के लिए बैठना तक वर्जित था। 

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन में कार्यरत भावना के पिता का भी वायुसेना में काम करने का सपना था और वो बारहवीं कक्षा के बाद वायुसेना की परीक्षा में पास भी हो गए थे। लेकिन उनके पिता ने उन्हें वायुसेना से जुड़ने की अनुमति नहीं दी। भावना के पिता के अंदर रक्षा क्षेत्र से जुड़कर देश की सेवा करने की भावना को अब उनकी बेटी भावना पूरा कर रही हैं। 

मोहना सिंह

राजस्थान के झुनझुन जिले की मोहना सिंह के पिता  वायुसेना में बतौर वारंट अधिकारी कार्यरत है। मोहना सिंह के दादा लादूराम को 1948 में भारत-पाक युद्द के दौरान शौर्य के लिए वीर चक्र प्रदान किया गया था। 11 फरवरी 1948 को यूनिट 1 के ग्रेनेडियरस लांस नायक लादूराम एक ब्रेन ग्रुप की कमान संभाल रहे थे।

उसी वक्त दुश्मन के हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए शत्रु के ठिकाने पर धावा बोल दिया था। इसके बाद जब वो गंभीर रूप से घायल होकर गिर पड़े। तो फिर उठे और अपनी आखिरी मैगजीन फायर करते हुये शत्रु पर टूट पड़े थे।

इसके बाद दो घंटे तक खुले मैदान में पड़े रहे थे और जब नायक बीरबल राम उन्हें बचाने के लिए गए तो उन्होने कहा 'मेरी चिंता मत करो। रण को संभालो। आज शत्रु को मारने का अवसर आया है।'  

यह कहते ही उन्होंने वीरगति पाई थी। इस जाबांज सिपाही की पोती मोहना सिंह को पहली महिला फाइटर जेट का पायलट बन देश का गौरव बनी है।

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Source : Shivani Bansal

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