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असम में AIUDF के एकलौते हिंदू विधायक का इस्‍तीफा, आज BJP में हो सकते हैं शामिल

भवानीपुर निर्वाचन क्षेत्र के एआईयूडीएफ विधायक ने पिछले विधानसभा चुनावों में कई बार इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और असफल रहे थे.

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Kuldeep Singh
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फणीधर तालुकदार( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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असम में विपक्षी दल ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के एकलौते हिंदू विधायक फणीधर तालुकदार (Phanidhar Talukdar) ने मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. पहली बार विधायक बने तालुकदार के बुधवार को विधानसभा से इस्तीफा देने और सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल होने की संभावना है. तालुकदार ने अपने त्यागपत्र में लिखा है, ‘मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र की जनता और असम के लोगों के व्यापक हित में एआईयूडीएफ पार्टी की अपनी प्राथमिक सदस्यता भी छोड़ रहा हूं.’ तालुकदार ने 29 अगस्त को कहा था कि वह एक सितंबर को BJP में शामिल होंगे.

तालुकदार ने सत्तारूढ़ दल की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद के उम्मीदवार रंजीत डेका को चुनाव में हराया. इससे वह एआईयूडीएफ के इकलौते हिंदू विधायक बन गए. एआईयूडीएफ के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी को तालुकदार का इस्तीफा मिल गया है. पार्टी के फिलहाल 16 विधायक हैं.

 एक दिन पहले ही असम में कांग्रेस ने एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन तोड़ा था. लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाले एआईयूडीएफ और हाग्रामा मोहिलरी के बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ गठबंधन तोड़ते ही 10-पार्टियों के गठबंधन 'महाजोत' का भी पतन हो जाएगा. इसके पीछे वजह AIUDF द्वारा बीजेपी की तारीफ बताई जा रही है. लोकसभा सांसद गौरव गोगोई ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि कांग्रेस को अब गठबंधन का हिस्सा नहीं होना चाहिए. पार्टी को स्वतंत्र रहना चाहिए और जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए.

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असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा की अध्यक्षता में एक कोर-कमेटी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई और गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया गया. एआईयूडीएफ ने हाल ही में भाजपा और मुख्यमंत्री की प्रशंसा की थी. इसने कांग्रेस नेताओं को चकित कर दिया. AIUDF द्वारा बीजेपी की तारीफ किए जाने से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी हैरान थे. गौरतलब है कि विधानसभा चुनावों में मुख्य विपक्षी कांग्रेस को 29 सीटें मिलीं. 2016 की तुलना में तीन सीटें अधिक थी. एआईयूडीएफ ने पिछली बार की 13 सीटों की तुलना में 16 सीटें जीती. वहीं, बीपीएफ को सिर्फ चार सीटें और सीपीएम ने सिर्फ एक सीट पर जीत मिली.

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