हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सक्रियता पर पूर्ण विराम लगाने की भारत ड्रैगन के खिलाफ लगातार लामबंदी कर रहा है. इस कड़ी में मालदीव में बड़ी-टिकट परियोजनाओं की घोषणा करने से लेकर नेपाल के साथ तनावपूर्ण संबंध बनने तक, भारत दक्षिण एशिया के पड़ोसियों देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने में जुटा हुआ है. इसको करने के लिए भारत को जिन दो देशों की सबसे ज्यादा मदद की दरकार होगी वे हैं मालदीव और श्रीलंका. ये दोनों देश बेशक भौगोलिक आकार में चीन और भारत से छोटे हों, लेकिन हिंद महासागर में राणनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है.
अजीत डोभाल ने की बैठक
मालदीव और श्रीलंका के साथ रिश्तों को मजबूत करने के लिए भारतीय एनएसए अजीत डोभाल ने दोनों देशों के अधिकारियों के साथ बैठक की. ये बैठक इस बात का संकेत है कि उक्त तीनों देश अब इस क्षेत्र में साझी रणनीति की तरफ बढ़ रहे हैं. बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि संयुक्त अभ्यास के अलावा मानवीय आधार पर सहयोग समेत कई मुद्दों पर सहयोग को लेकर बातचीत हुई. इस पूरी बैठक में गौर करने वाली बात ये रही कि चीन द्वारा श्रीलंका पर लगातार दवाब बनाया जा रहा है इसके बावजूद वो इस वार्ता में शामिल हुआ.
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छह सालों बाद मिले तीनों देश
समुद्री सुरक्षा सहयोग विषय के तहत उक्त तीनों देशों की बैठक छह वर्षों बाद हुई है. यह डोभाल की इस साल श्रीलंका की दूसरी आधिकारिक यात्रा है. जनवरी में, उन्होंने द्वीप राष्ट्र का दौरा किया और राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के साथ रक्षा, खुफिया साझाकरण और समुद्री सुरक्षा में सहयोग को मजबूत करने सहित कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की थी. कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने बताया कि डोभाल, श्रीलंका के रक्षा सचिव मेजर (सेवानिवृत्त) कमल गुणारत्ने और मालदीव की रक्षा मंत्री मारिया दीदी द्वारा त्रिपक्षीय बैठक में हुई चर्चा के ब्योरे पर हस्ताक्षर करके औपचारिक रूप दिया गया.
एस जयशंकर भी सागर मिशन मुहिम पर
एक तरफ एनएसए डोभाल श्रीलंका और मालदीव के साथ रिश्तों को नया मोड़ दे रहे हैं. वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सेशेल्स का दौरा किया है, जहां चीन ने विमान और नौसेना के जहाजों के हस्तांतरण के माध्यम से रक्षा सहयोग किया है. जयशंकर ने सेशेल्स की यात्रा के दौरान 91 मिलियन डॉलर की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने की योजना की घोषणा की और सुरक्षा सहयोग पर भी चर्चा की. जानकारी के लिए बता दें कि भारत ने मई में कोविड महामारी के बीच हिंद महासागर क्षेत्र के राष्ट्रों का समर्थन करने के लिए सागर मिशन का शुभारंभ किया। मालदीव, श्रीलंका, मॉरीशस और सेशेल्स भारत से सहायता प्राप्त करने वाले पहले देशों में से थे.
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वियतनाम को पहले ही लाए साथ
भारत अन्य प्रमुख राष्ट्रों के लिए भी प्राथमिकता के अनुसार है अपने फुटप्रिंट्स का विस्तार करना चाहता है. इस कड़ी में भारत ने वियतनाम से समुद्री-डाटा साझा करने का एक बड़ा समझौता किया है. इस हाईड्रोग्राफिक-एग्रीमेंट के तहत दोनों देश एक दूसरे के साथ समुद्री डाटा साझा करेंगे जो नेविगेशनल चार्ट्स बनाने में मदद कर सकेगा. राजनाथ सिंह ने आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा-क्षेत्र में स्वावलंबी बनने का आहवान किया और कहा कि इससे भारत के मित्र-देशों को भी रक्षा-क्षेत्र में मजबूत होने का मौका मिलेगा.
भारत-चीन सीमा विवाद
एलएसी पर चीन की मामले को उलझाए रखने की रणनीति को भांपते हुए भारत ने एलएसी पर लंबे समय तक मोर्चा संभालने की रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है. सर्दियों के मौसम में भी एलएसी पर भारतीय सेना के जवान तैनात हैं. चीन की चाल को भांपते हुए भारत ने पड़ोसी देश की चौतरफा घेराबंदी के लिए आर्थिक, सामरिक और कूटनीतिक मोर्चे पर भी लंबी लड़ाई की योजना बना ली है.
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चीन से त्रस्त देशों का समर्थन
भारत उन देशों को साथ लेकर चल रहा है जो चीन से परेशान हो चुके हैं, उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने मालदीव में अपना दूतावास स्थापित करने का भी ऐलान किया है. श्रीलंका में पोम्पिओ ने चीन को हिंसक जानवर तक करार दिया था और निवेश परियोजनाओं की आड़ में चीन की कर्ज जाल में फंसाने की नीति पर तीखा हमला बोला था. ऐसा माना जा रहा है कि भविष्य में भी हिंद प्रशांत सेक्टर में भारत-अमेरिका-आस्ट्रेलिया-जापान की जो साझा रणनीति बनेगी उसमें मालदीव व श्रीलंका की अहम भूमिका हो सकती है.