शनिवार की सुबह महाराष्ट्र में आए सियासी भूकंप के बाद शुरू हुए आरोप-प्रत्यारोप के दौर के बाद सारी निगाहें विधानसभा में बहुमत साधने की गणित पर टिक गई हैं. इसके पहले राजनीतिक पंडितों को यह गणित परेशान कर रही थी कि कांग्रेस-एनसीपी के समर्थन से शिवसेना सरकार बना तो लेगी, लेकिन उसके भविष्य को लेकर अटकलें लगने लगी थीं. शनिवार को जो कुछ हुआ उसके बाद अब बीजेपी अजीत पवार के नेतृत्व में एनसीपी से समर्थन के बल पर बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा हासिल करने की जुगत में है. हालांकि दल-बदल कानून की 'मार' से बचने के लिए अजीत पवार को कम से कम 36 एनसीपी विधायकों को अपने पाले में लाना होगा.
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जादुई आंकड़ा 145
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं. ऐसे में सरकार बनाने के लिए बहुमत का जरूरी आंकड़ा 145 का है. विधानसभा चुनाव के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं. बीजेपी और शिवसेना चुनाव से पहले साथ थीं और ऐसे में दोनों के पास बहुमत का आंकड़ा था. हालांकि, गठबंधन टूट गया और बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 40 सीटों की जरूरत हो गई.
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बीजेपी का संख्याबल
शनिवार को शिवसेना सरकार के गठन से पहले उसकी जमीन छीन लेने वाले घटनाक्रम के बाद यह माना जा रहा है कि एनसीपी से अलग राह पकड़कर बीजेपी संग सरकार में शामिल होने वाले अजीत पवार के पास यह जरूरी संख्या है. शरद पवार ने साफ कहा है कि बीजेपी को समर्थन का फैसला अजीत का निजी था. इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि एनसीपी के सभी 54 विधायकों का साथ बीजेपी के को नहीं मिला है. राजनीतिक सूत्रों की मानें तो अजीत के साथ एनसीपी के 35 विधायक हैं. उनके अलावा करीब 13 निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा बीजेपी पहले ही कर रही थी. ये निर्दलीय शिवसेना और बीजेपी के बागी नेता हैं.
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दल-बदल कानून की तलवार
एनसीपी के पास कुल 54 विधायक हैं. दल-बदल कानून के प्रावधान के तहत अलग गुट को मान्यता हासिल करने के लिए दो तिहाई विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है. इस लिहाज से अजीत पवार को 36 विधायकों का समर्थन चाहिए. अगर अजीत 36 या इससे ज्यादा विधायकों का समर्थन हासिल कर लेते हैं तो उन्हें नई पार्टी बनाने में मुश्किल नहीं होगी, लेकिन अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो बागी विधायकों की सदस्यता खत्म हो सकती है.
HIGHLIGHTS
- महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा है 145.
- बीजेपी को एनसीपी के 36 और 13 निर्दलीय का साथ.
- इससे कम संख्या होने से बिगड़ जाएगी सारी गणित.