तीन तलाक और गौ हत्या पर दिये गए बयान के कारण अजमेर दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान को उनके भाई ने पद से हटा दिया है। जैनुल के भाई अलाउद्दीन आलिमी ने उन्हें पद से हटाकर खुद को दरगाह का दीवान घोषित कर दिया है।
आलिमी अपने भाई जैनुल से इतने नाराज़ हैं कि उन्होंने उन्हे मुसलिम मानने से भी इनकार कर दिया है।
अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान समेत सोमवार को कई सूफी मौलवियों ने देश भर में 'सभी तरह के बीफ' पर बैन लगाने की मांग की थी। सूफी मौलवियों का कहना था कि बीफ के चलते देश के हिंदुओं और मुसलमानों के बीच टकराव की स्थिति रहती है और दोनों समुदाय के बीच लड़ाई की संभावना बनी रहती है।
दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने 805वें उर्स के समापन के अवसर पर ये बयान दिया था।
हालांकि दीवान जैनुल के भाई अलीमी के इस कदम का दरगाह समिति समर्थन नहीं कर रही है।
जैनुल आबेदीन ने कहा कि दरगाह ख्वाजा साहेब अधिनियम, 1955 के मुताबिक उनके इस कदम को कोई भी कानूनी मान्यता नहीं है। और इस संबंध में वो कानूनी सलाह लेंगे।
आलिमी अपने भाई जैनुल के ट्रिपल तलाक और गौहत्या पर दिया बयान से नाराज़ थे। जैनुल आबेदीन जब दरगाह के गर्भगृह में पूजा कर रहे थे उस समय आलिमी वहां पहुंचत कर दीवान की गद्दी पर बैठ गए और खुद को नया दीवान घोषित कर दिया।
गौ हत्या को लेकर चल रहे विवाद के कारण सूफी मौलवियों ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करनी चाहिये और बीफ को बैन करने के लिए अध्यादेश पारित होना चाहिए।
इस बयान का दिल्ली की हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह के अलावा कर्नाटक के गुलबर्गा शरीफ के अलावा देश के कई दरगाहों के मौलवियों ने भी इस मांग का समर्थन किया है।
Source : News Nation Bureau