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एंटनी ने सरकार पर लगाया चीन के समक्ष 'पूर्ण आत्मसमर्पण' का आरोप

एंटनी ने कहा कि गलवान वर्ष 1962 में भी विवादित नहीं था और सरकार ऐतिहासिक तथ्यों को नहीं छिपा सकती. कांग्रेस ने संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान की आलोचना की जिसमें उन्होंने सैनिकों के पीछे हटने की जानकारी दी थी.

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Ravindra Singh
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AK Antony

एके एंटनी( Photo Credit : फाइल फोटो)

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वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के पीछे हटने की सहमति के बीच पूर्व रक्षा मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ए.के. एंटनी ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने चीन के समक्ष पूरी तरह से आत्मसमर्पण कर दिया है और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बिंदुओं को चीन को दे दिया है. एंटनी ने कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि भारतीय एलएसी फिंगर 8 तक था और फिंगर 3 से हटने के बाद, भारतीय सेना फिंगर 8 तक और फिंगर 4 पोस्ट के लिए भी गश्त करने का अधिकार खो देगी.

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना कैलाश पर्वत के रणनीतिक स्थान पर थी और वहां से हटना भारतीय हित में नहीं है क्योंकि सेना वहां से चीनी सैनिकों की गतिविधियों पर नजर रख सकती है. एंटनी ने कहा कि गलवान वर्ष 1962 में भी विवादित नहीं था और सरकार ऐतिहासिक तथ्यों को नहीं छिपा सकती. कांग्रेस ने संसद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान की आलोचना की जिसमें उन्होंने सैनिकों के पीछे हटने की जानकारी दी थी.

सुरजेवाला ने कहा कि देश अप्रैल, 2020 की यथास्थिति से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेगा और सरकार ने हमारी सेना के पराक्रम का मान कम कर दिया है. कांग्रेस ने सरकार से सवाल किया कि भारतीय क्षेत्र में बफर जोन क्यों बनाया गया है. कांग्रेस ने पुलवामा हमले के शहीदों को भी श्रद्धांजलि दी. सुरजेवाला ने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री यह बताएंगे कि चीन द्वारा बिना किसी प्रतिदान के आखिर केंद्र सरकार उस कैलाश पर्वतमाला से भारतीय सशस्त्र बलों को वापस लेने के लिए क्यों सहमत हो रही है, जहां पर चीन को नुकसान है.

गौरतलब है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को संसद में कहा था कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण से सैनिकों को हटाने के लिए एक समझौते पर पहुंच गए हैं. उन्होंने कहा कि चीन के साथ निरंतर बातचीत से पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट से सैनिकों के हटाने पर सहमति बन गई है. समझौते के बाद भारत-चीन चरणबद्ध और समन्वित तरीके से अग्रिम मोर्चो से सैनिकों की तैनाती हटा देंगे.

चीन पैंगोंग झील के उत्तर में स्थित फिंगर 8 के पूर्व में अपने सैनिकों को रखेगा. राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपने सैनिकों को फिंगर 3 के पास अपने स्थायी ठिकाने पर रखेगा. रक्षा मंत्री ने कहा था कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास कई स्थानों पर हथियारों और गोला-बारूद के साथ एक भारी बल बना रखा है. हमारी सेना ने भी मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पर्याप्त और प्रभावी ढंग से तैनाती की है.

Source : News Nation Bureau

Randeep Surjewala AK Antony AK Antony attack on BJP
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