कांग्रेस नेता व पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने अगस्ता वेस्टलैंड केस में गांधी परिवार की संलिप्तता से इंकार किया है। एके एंटनी ने कहा कि यह कांग्रेस पार्टी ही थी जिसने अगस्ता वेस्टलैंड मामले की जांच शुरू की।
उन्होंने कहा, ‘ गांधी परिवार का अगस्ता वेस्टलैंड मामले में दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। बीजेपी इस मामले में झूठी बातें फैला रही है।
प्रवर्तन निदेशालय ने दायर किया पूरक आरोप पत्र
इधर, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को दिल्ली कोर्ट में फिनमेक्के निका के पूर्व प्रमुख जियुसेप्पे ओरसी और ब्रूनोस्पागनोलिनी समेत पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किया। पटियाला हाउस कोर्ट में स्पेशल जज अरविंद कुमार के समक्ष दायर आरोप पत्र पर 20 जुलाई को सुनवाई होगी।
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धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपपत्र दाखिल करते वक्त ईडी ने दंडाधिकारी से कहा कि धनशोधन 'कई विदेशी कंपनियों' के जरिए किया गया।
अदालत को बताया गया कि 'विदेशी कंपनियों को सामने कर उनकी आड़ में कथित रूप से घूस ली गई।'
आरोप पत्र में इन लोगों का नाम है शामिल
ईडी ने आरोपपत्र में आईएएफ के पूर्व प्रमुख के रिश्तेदार संजीव त्यागी और राजीव त्यागी, अगस्ता वेस्टलैंड के पूर्व सीईओ ब्रूनो स्पागनोलिनी, इटली की रक्षा व एयरोस्पेस कंपनी फिनमेक्के निका के पूर्व प्रमुख जियुसेप्पे ओरसी का नाम भी शामिल किया है।
ईडी ने इसके अलावा दुबई स्थित कंपनी मैट्रिक्स होल्डिंग्स के निदेशक राजीव सक्सेना, उनकी पत्नी शिवानी सक्सेना ओर वकील गौतम खेतान की पत्नी ऋतु खेतान का नाम भी आरोपपत्र में शामिल किया है।
आरोपपत्र में कुछ घरेलू और विदेशी कंपनियों के नाम भी शामिल हैं, जिनमें एयरोमेट्रिक्स इनफो सोल्यूशन लिमिटेड, विंडसर ग्रुप होल्डिंग्स, इसमैक्स इंटरनेशनल लिमिटेड, क्रिकलवुड लिमिटेड, लांग लास्टिंग लिमिटेड, मैट्रिक्स होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड, यूएचवाई सक्सेना, दुबई इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड, ओ.पी. खेतान एंड को इंटरनेशनल मेडिटेरिनियन कंसलटिंग, ट्यूनिश इंफोटेक डिजाइन सिस्टम, गोर्डियन सर्विसेज, फिनमेक्के निका एसपीए और अगस्ता वेस्टलैंड शामिल हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) मामले में पहले ही आरोपपत्र दाखिल कर चुका है।
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भारत ने 1 जनवरी 2014 को फिनमेक्के निका की ब्रिटिश सहायक कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से लिए जाने वाले 12 एवी-101 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर के कांट्रेक्ट को रद्द कर दिया था। भारत ने यह कदम मामले में संविदात्मक दायित्वों के कथित उल्लंघन और 423 करोड़ रुपये घूस देने के आरोप की वजह से उठाया था।
सीबीआई ने कांट्रेक्ट दिलवाने में घूस लेने का लगाया था आरोप
सीबीआई ने इससे पहले 12 मार्च 2013 को एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें 2004 से 2007 तक आईएएफ प्रमुख रहे एस.पी.त्यागी और अन्य पर अगस्ता वेस्टलैंड को कांट्रेक्ट दिलवाने के लिए घूस लेने का आरोप लगाया गया था।
सीबीआई के अनुसार, एस.पी.त्यागी ने कथित रूप से अगस्ता वेस्टलैंड से बिचौलिये के जरिए कई करोड़ रुपये घूस के रूप में लिए।
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IANS इनपुट के साथ
Source : News Nation Bureau