तत्काल तीन तलाक पर रोक लगाने वाला विधेयक संसद के दोनों सदनों से पास हो गया है. अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह कानून बन जाएगा. सरकार इसे जहां मुस्लिम महिलाओं की आजादी का दिन बता रही है, वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे लोकतंत्र का काला दिन बताया है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्लनल लॉ बोर्ड ने बिल को मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ बताते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है.
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्लनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जीलानी का कहना है कि बिल की खामियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्लनल लॉ बोर्ड की लीगल कमेटी की जल्द ही बैठक बुलाकर बिल की खामियों का अध्ययन किया जाएगा. उसके बाद पूरी तैयारी कर सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे. जीलानी ने सबसे ज्यादा एतराज पति को जेल भेजने के प्रावधान पर जताते हुए कहा- इस प्रावधान को किसी भी सूरत में उचित नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में तलाकशुदा पत्नी के बच्चों की परवरिश आखिर कौन करेगा?
उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्लनल लॉ बोर्ड ने ट्वीट कर इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया है. बोर्ड ने टि्वटर पर लिखा है- 'निश्चित रूप से यह भारतीय लोकतंत्र का काला दिन है. मुस्लिम महिलाओं के विरोध के बावजूद मोदी की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने इसे संसद के दोनों सदनों से पास करवाया. लाखों मुस्लिम महिओं की तरफ से हम इस बिल की निंदा करते हैं.'
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गौरतलब हो कि राज्यसभा में बिल के पक्ष में 99 और विपक्ष में सिर्फ 84 वोट पड़े. बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव भी गिर गया. प्रस्ताव के पक्ष में 84 जबकि विपक्ष में 100 वोट पड़े. लोकसभा में तीन तलाक को लेकर बिल इसी सत्र में लोकसभा से पारित हो चुका है. अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह बिल कानून में तब्दील हो जाएगा.
HIGHLIGHTS
- पति को जेल भेजने के प्रावधान पर बोर्ड को सबसे अधिक ऐतराज
- बोर्ड ने उठाए सवाल, महिला और बच्चों की परवरिश कौन करेगा
- मुस्लिम महिलाओं के भारी विरोध के बाद भी बिल पास कराया गया
Source : News Nation Bureau