असम (Assam) में प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार में मंत्री हिमांता बिस्व शर्मा (Himanta Biswa Sarma) ने घोषणा की है कि राज्य के सभी सरकारी मदरसे बंद किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि आम जनता के रुपयों से धार्मिक शिक्षा देने का प्रावधान नहीं है, इसलिए सरकारी मदरसे अब नहीं संचालित होंगे. इस आदेश का नोटिफिकेशन अगले महीने यानी नवंबर में जारी कर दिया जाएगा. राज्य में लगभग 100 संस्कृत स्कूल भी बंद हो जाएंगे.
नियमित स्कूलों में बदल जाएंगे मदरसे
असम से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक और राज्य के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि नवंबर में सभी राज्य संचालित मदरसों को बंद करने के बारे में एक अधिसूचना जारी की जाएगी. उन्होंने कहा, 'सभी राज्य संचालित मदरसों को नियमित स्कूलों में परिवर्तित किया जाएगा या कुछ मामलों में शिक्षकों को राज्य संचालित स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा और मदरसों को बंद कर दिया जाएगा. इसके लिए नवंबर में एक अधिसूचना जारी की जाएगी.'
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4 फीसदी मुस्लिम छात्र पढ़ते हैं मदरसों में
मदरसे शैक्षिक संस्थान हैं जहां कुरान और इस्लामी कानून को गणित, व्याकरण, कविता और इतिहास के साथ पढ़ाया जाता है. शैक्षणिक और शोध वेबसाइट द कन्वर्सेशन पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार की रिपोर्ट है कि 4 प्रतिशत मुस्लिम छात्र देश के मदरसों में पढ़ते हैं. बीजेपी की अगुवाई वाली असम सरकार ने धार्मिक संस्थानों पर पैसा खर्च नहीं करने के लिए, मदरसों को नियमित स्कूलों में बदलने या शिक्षकों को अन्य स्कूलों में स्थानांतरित करने और उन्हें बंद करने का निर्णय लिया है.
सरकार धन से कुरान का शिक्षण नहीं
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए मंत्री ने कहा, 'मेरी राय में, कुरान का शिक्षण सरकारी धन की कीमत पर नहीं हो सकता है' अगर हमें ऐसा करना है तो हमें बाइबल और भगवद गीता दोनों को भी सिखाना चाहिए' इसलिए हम एकरूपता लाना चाहते हैं और इस प्रथा को रोकना चाहते हैं.'
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असम में 614 मान्यता प्राप्त मदरसे
राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड (एसएमईबी) के अनुसार, असम में 614 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं. एसएमईबी की वेबसाइट के अनुसार, इनमें से 400 उच्च मदरसे हैं, 112 जूनियर उच्च मदरसे हैं और शेष 102 वरिष्ठ मदरसे हैं. कुल मान्यता प्राप्त मदरसों में से 57 लड़कियों के लिए हैं, 3 लड़कों के लिए हैं और 554 सह-शैक्षिक हैं. 17 मदरसे उर्दू माध्यम से चल रहे हैं.