Parliament Winter Session:शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही संसद में तीनों कृषि कानून वापसी बिल पास हो गया. आज संसद के दोनों सदनों ने तीनों कृषि कानून को निरस्त करने वाले बिल कृषि विधि निरसन विधेयक-2021 को बिना चर्चा के मंजूरी दे दी. अब इस बिल को राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2021 को कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी. 29 नवंबर से शुरू हुआ संसद का शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर तक चलेगा.
सोमवार को संसद के दोनों सदनों में तीनों कृषि कानून बिना चर्चा के पास हो गए. लोकसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि क़ानून निरसन विधेयक 2021 पेश किया. कुछ ही देर में कृषि कानून वापसी बिल लोकसभा से पारित हो गया. इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2:00 बजे तक स्थगित कर दी गई. लोकसभा में कांग्रेस ने सदन में विधेयक पर चर्चा की मांग की थी.
कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने विपक्ष ने तीनों कानूनों को निरस्त करने पर चर्चा करने की मांग की थी. लेकिन सरकार का कहना था कि उन्होंने पहले ही बिल को वापस लेने का फैसला किया है, इसलिए उन्हें और अधिक चर्चा करने की जरूरत नहीं है. साथ ही पीएम ने माफी भी मांगी है इसलिए कहने के लिए और कुछ नहीं बचा है.
तीनों कृषि कानून के विरोध में पिछले करीब एक साल से दिल्ली की सीमा पर किसान संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. पिछले साल सितंबर महीने में केंद्र सरकार ने विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 बनाया था.
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राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि चुनाव हारने के डर से सरकार ने इस कानून को वापस लिया. खड़गे ने कहा, 'हम चाहते हैं कि कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 पर चर्चा हो. लेकिन लोकसभा में इस विधेयक को जल्दबाजी में पारित कर वे (सरकार) सिर्फ ये साबित करना चाहते हैं कि वे किसानों के पक्ष में हैं.'
We want that there should be a discussion on the Farm Laws Repeal Bill, 2021. But with the passing of this Bill in Lok Sabha in a haste, they (govt) just want to prove that they are in the favour of farmers: Leader of Opposition in Rajya Sabha, Mallikarjun Kharge pic.twitter.com/aCy4EHvRGY
— ANI (@ANI) November 29, 2021
कांग्रेस ने लोकसभा में चर्चा के बिना कृषि विधि निरसन विधेयक को पारित कराए जाने को लेकर सोमवार को सरकार पर निशाना साधा. पार्टी ने कहा कि अगर सदन में चर्चा होती तो उन्हें किसानों के मुद्दों पर हिसाब और जवाब देना पड़ता. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘तीनों कृषि विरोधी काले क़ानूनों को ना पारित करते चर्चा हुई, न ख़त्म करते हुए चर्चा हुई. क्योंकि चर्चा होती तो…हिसाब देना पड़ता, जबाब देना पड़ता…’
3 Anti-Agriculture Laws were passed in Parliament without discussion & have been repealed without discussion.
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 29, 2021
A debate would make the PM & BJP answerable for…
• Conspiracy to sell the farming sector at the altar of Crony Friends;
• Sacrifice of 700 farmers;
• Not giving MSP.
बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा, 'कृषि कानून निरसन विधेयक, 2021 आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सभी 750 किसानों को श्रद्धांजलि है. एमएसपी समेत अन्य मुद्दे लंबित रहने के कारण विरोध जारी रहेगा'
Kaushambi, UP | This (Farm Laws Repeal Bill, 2021 passed by Lok Sabha) is a tribute to all 750 farmers who lost their lives during the agitation. The protest will continue as other issues including MSP are still pending: BKU leader Rakesh Tikait pic.twitter.com/OkogFDgMw0
— ANI (@ANI) November 29, 2021
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को संसद में पेश किए जाने से पहले, सोमवार को कहा कि आज संसद में अन्नदाता के नाम का सूरज उगाना है.
इससे पहले संसद सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भविष्य में संसद को कैसा चलाया, कितना अच्छा योगदान दिया, कितना सकारात्मक काम हुआ, उस तराजू पर तोला जाए. न कि मापदंड ये होना चाहिए कि किसने कितना जोर लगाकर सत्र को रोका. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार हर विषय पर खुली चर्चा के लिए तैयार है. हम ये भी चाहते हैं कि संसद में सवाल भी हों और शांति भी हो.
HIGHLIGHTS
- शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही संसद में तीनों कृषि कानून वापसी बिल पास
- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि क़ानून निरसन विधेयक 2021 पेश किया
- मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि चुनाव हारने के डर से सरकार ने कृषि कानून वापस लिया