इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह मुन्ना बजरंगी हत्या मामले में जांच की स्थिति बताते हुए एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें. अदालत ने उनसे पूछा कि क्यों न इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाए. मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति राजबीर सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 29 जुलाई तय की.
याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में कहा कि मुन्ना बजरंगी की हत्या में माफिया शामिल हो सकते हैं और जेल अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है. इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए जिससे मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो सके. पूर्वी उत्तर प्रदेश के अपराधी मुन्ना बजरंगी की 9 जुलाई, 2018 को बागपत जिला कारागार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
यह भी पढ़ें-मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका
कथित तौर पर एक अन्य कैदी और गैंगस्टर सुनील राठी द्वारा मुन्ना बजरंगी के सिर में गोली मारी गई थी. बजरंगी 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय और एक अन्य भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या के मामले में 2009 से ही जेल में बंद था.
यह भी पढ़ें-योगी कैबिनेट की प्रथा टूटी, मंगलवार के जगह सोमवार को हुई बैठक, इन 12 फैसलों पर लगी मुहर
HIGHLIGHTS
- मुन्ना बजरंगी हत्या की जांच सीबीआई कर सकती है
- हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई 29 जुलाई तय की
- हत्या में जेल अधिकारियों की भूमिका पर है संदेह
Source : Bhasha