इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कामेडियन कुनाल कामरा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग में धारा 156(3)के तहत दाखिल अर्जी अधीनस्थ अदालत वाराणसी से खारिज होने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. हालांकि कोर्ट ने कहा याची को इस मामले में अदालत में आपराधिक केस कायम करने का वैकल्पिक उपाय प्राप्त है. वह इसका इस्तेमाल कर सकता है. बता दें कि कामेडियन कुनाल कामरा पर 11 नवंबर ,2020 को सुप्रीम कोर्ट की बिल्डिंग पर फहराये गये तिरंगे में एडिटिंग कर आपत्तिजनक तस्वीर को ट्विटर पर पोस्ट कर तिरंगे का अपमान करने का आरोप है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने अधिवक्ता सौरभ तिवारी की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है.
हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका
कोर्ट ने साकरी बसु बनाम स्टेट ऑफ यूपी केस में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर यह आदेश दिया है. याची ने न्यायिक मजिस्ट्रेट वाराणसी की अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3)के तहत तिरंगे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में एफ आई आर दर्ज करने का आदेश जारी करने की मांग में अर्जी दाखिल की. जिसे मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया. अपर सत्र न्यायाधीश , वाराणसी की अदालत में निगरानी भी खारिज हो गई, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस मामले में याचिका अधिवक्ता अमिताभ त्रिवेदी ने बहस की.
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एफआईआर दर्ज करने की थी मांग
अधीनस्थ अदालत ने कहा कि वाराणसी सत्र न्यायालय का क्षेत्राधिकार इस मामले में नहीं बनता क्योंकि अपराध न्यायालय के क्षेत्राधिकार में घटित नहीं हुआ है, और अर्जी खारिज कर दी. याचिका में राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 2 के प्रावधानों के तहत ट्विटर को पब्लिक प्लेटफार्म बताते हुए कामेडियन कुनाल कामरा के ट्वीट को भारतीय राष्ट्रीय झंडे का अपमान बताया. याचिका में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की, जिस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. हालांकि कोर्ट ने आपराधिक परिवाद कायम करने की छूट दी है.
HIGHLIGHTS
- कुणाल कामरा के खिलाफ मामले में हाई कोर्ट का हस्तक्षेप से इन्कार
- राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का मामला
- वाराणसी सत्र न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर है मामला
Source : News Nation Bureau