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प्लास्टिक का विकल्प बन सकता है साबूदाना, कूड़े से निखर सकता है आपका शहर!

पर्यावरण (Environment) के लिए खतरा बन चुके प्‍लास्‍टिक से अब दुनिया निजात पाना चाह रही है.

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Drigraj Madheshia
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प्लास्टिक का विकल्प बन सकता है साबूदाना, कूड़े से निखर सकता है आपका शहर!

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

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सिंगल यूज प्‍लास्‍टिक (Single Use Plastic) के खिलाफ अब पूरी दुनिया में मुहीम शुरू हो चुकी है. पर्यावरण (Environment) के लिए खतरा बन चुके प्‍लास्‍टिक से अब दुनिया निजात पाना चाह रही है.भारत भी अब 2 अक्‍टूर से सिंगल यूज प्‍लास्‍टिक (Single Use Plastic) को बैन करने जा रहा है.दुनिया में प्लास्टिक (Plastic)के कूड़े का योगदान देने वाले देशों की सूची में इंडोनेशिया काफी ऊपर है. अब वहां एक स्टार्ट अप कंपनी प्लास्टिक का विकल्प ले कर आई है. यहां सुगिआंतो ने विकल्पों की तलाश में लंबी रिसर्च की है.

सुगिआंतो कंपनी ग्रीनहोप जैविक रूप से विघटित होने वाला पॉलीमर टापियोका यानी साबूदाने से बना रही है. प्रोसेसिंग के बाद इसे प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. साबूदाना कसावा के पौधे से बनता है जो एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के ट्रॉपिकल इलाकों में उगाया जाता है. सुगिआंतो बताते हैं, "कसावा का पौधा जमीन के नीचे बढ़ता है. कटाई के दौरान इसे सिर्फ ऊपर खींचना पड़ता है. तने को निकाला जाता है, वही स्टार्च का स्रोत है. ऊपर का तना इसके बाद दो तीन मीटर बढ़ता है." कसावा सस्ता है और भारी मात्रा में पाया जाता है, लेकिन इसमें बहुत ज्यादा पोषक तत्व नहीं होते. इसीलिए प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर इसका इस्तेमाल भी ठीक ही लगता है.

कूड़े से निखर रही है नीदरलैंड्स की खूबसूरती

भारत में अभी भी कूड़ा निस्‍तारण करने के मामले में कोई ठोस पहल नहीं कर पाया है. शहर दर शहर कूड़े के पहाड़ बढ़ते जा रहे हैं. कुछ हद तक सड़क और परिवन मंत्रालय इसको लेकर कदम उठाया है. राष्‍ट्रीय राज्‍यमार्गों के निर्माण में मामूली तौर पर ही सही कूड़े का भी इस्‍तेमाल होने लगा है. लेकिन कुछ ऐसे भी देश हैं जहां कूड़े से अपने शहर को चमका रहे हैं. इन देशों में नीदरलैंड पहले नंबर पर है.

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नीदरलैंड्स के दो शहरों, एम्स्टरडम और रॉटरडम ने इसका फार्मूला ढूंढ निकाला है. एम्स्टरडम और रॉटरडम कूड़ा जमा करने में लगे हैं. यहां पुरानी चीजें "द जीरो वेस्ट लैब" में जमा की जाती हैं. जहां पुराने कपड़ों, अखबारों और बोतलों के बदले कुछ डिस्काउंट कूपन मिल जाते हैं. बाद में इन पुरानी चीजों से बैग और कुशन बनाया जाता है.जीरो वेस्ट लैब की शुरुआत 2016 में हुई और तब से अब तक 30 स्थानीय उद्योग और 1,100 घर इससे जुड़ चुके हैं.

18 महीनों में अपने आप नष्ट हो जाएगा थैला

यूरोपीय आयोग ऐसे प्लास्टिक बैग शुरू करने पर विचार कर रहा है जो जैविक रूप से खुद समाप्त हो जाएँ ताकि पर्यावरण (Environment) को किसी तरह की कोई हानि ना पहुंचे लेकिन मक्के से बनने वाले बैग नष्ट होते समय मीथेन गैस पैदा करते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग के लिहाज से बिलकुल सही नहीं है.इसी प्रयास के चलते, ब्रिटेन की एक कंपनी ऐसे प्लास्टिक बैग बनाने का दावा करती है जो 18 महीनों में अपनेआप नष्ट हो सकता है.

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ये भी हो सकते हैं प्‍लास्‍टिक के विकल्‍प

  • केला, नारियल, घास, अनाज के अंदर ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो प्लास्टिक का विकल्प बन सकते हैं. इसे एक तापमान पर गर्म करने पर निकलने वाला तरल पदार्थ किसी तरह के आकार में बदल सकता है.पैकेजिंग में इसका उपयोग बड़े स्तर पर करने की तैयारी चल रही है.
  • मक्के, आलू और गन्ने से बनने वाले बायोपॉलिमर्स भी प्लास्टिक की जगह ले सकते हैं.न्यूजीलैंड , थाईलैंड की कुछ कंपनियां इस तरह की अनोखी पैकेजिंग पर काम कर रहीं हैं. यह काफी सस्ता होने के साथ पर्यावरण (Environment) के लिए भी काफी लाभदायक होगा.

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  • अमेरिकी एग्रीकल्चर विभाग एक पतली परत वाली प्रोटीन (इडिबल) फिल्म तैयार कर रहा जो दूध की मदद से बनती है.इसे रिसाइकल करना आसान है.
  • ब्रिटेन की कंपनी इकिया ने मशरूम का उपयोग पैकजिंग में करना शुरू कर दिया है.कंपनी के अध्यक्ष जोआना यारो के अनुसार वह फफूंद का इस्तेमाल पैकजिंग में कर रहे हैं.इसे तैयार करने के लिए कृषि कचरे जैसे कि मकई की भूसी को साफ किया जाता है.

एल्गी पैकेजिंगः इस परत को तैयार करने के लिए सी-वीड को उबाला जाता है.उबालने पर इसमें से चिपचिपा पदार्थ निकलता है जिसे अगर कहते हैं.जेली की तरह दिखने वाला यह उत्पाद पर्यावरण (Environment) के लिए काफी उपयोगी है. इसकी मदद से पानी बोतलों को बनाने की तैयारी है.इसकी खासियत है कि यह आसानी से मिट्टी में घुल सकता है.

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प्लास्टिक का प्रयोग

  • मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1964 में ग्लोबल प्लास्टिक प्रोडक्शन 15 अरब टन था जो दो साल पहले 311 अरब टन तक पहुंच चुका है.
  • प्लास्टिक को दोबारा रिसाइकल करना काफी महंगा और कठिन है.
  • 100,000 प्राणी जैसे डॉल्फन्सि, कछुए, व्हेल्स, पेंगुइन्स आदि की मृत्यु प्लास्टिक बैग के कारण हो जाती है.
  • प्लास्टिक बैग्स नॉन बायोडिग्रेडेबल हैं.इन्हें विघटित होने में लगभग 1000 वर्ष का समय लगता है.

Source : न्‍यूज स्‍टेट ब्‍यूरो

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