Amarnath Yatra : अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में एक जुलाई से सबसे लंबी 62 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा को तैयारी पूरी हो गई है. इसे लेकर राजधानी दिल्ली में कई स्तर पर बैठक चली है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई. इस मीटिंग में गृह सचिव, अर्धसैनिक बलों के प्रमुख, भारतीय थल सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल और खुफिया विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे. विचार विमर्श के बाद अमित शाह ने अमरयात्रा की ब्लूप्रिंट पर मुहर लगा दी है.
अमरनाथ यात्रा को लेकर शुक्रवार को कई दौर की बातचीत हुई है. पहले गृह सचिव की अध्यक्षता में सुबह 11 बजे सभी अर्धसैनिक बलों के प्रमुखों की बैठक हुई और फिर शाम 4 बजे गृह मंत्री अमित शाह ने खुद मीटिंग की अध्यक्षता की, जिसमें जम्मू-कश्मीर उपराज्यपाल भी शामिल हुए. बैठक का तीसरा दौर शाम 6 बजे चला, जिसमें खुफिया एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.
आपको बता दें कि अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद इस बार सबसे लंबी अमरनाथ की यात्रा चलेगी. यह यात्रा एक जुलाई से लेकर 31 अगस्त कुछ 62 दिनों तक चलेगी, इसे लेकर सारी तैयारी कर ली गई है. संवेदनशील स्थानों पर अर्धसैनिक बलों के साथ विशेष कमांडो दस्ते को भी लगाया जाएगा. QRT के कमांडो और स्नाइपर यात्रा मार्ग पर नजर रखेंगी. जम्मू कश्मीर प्रशासन की तरफ से यात्रियों की हर सुविधा का ख्याल रखा जाएगा, जिसमें हेल्थ फैसिलिटी NDRF की भी मदद ली जाएगी.
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सूत्रों की मानें तो यात्रा से पहले मौसम विभाग और इसरो के संसाधनों की भी मदद ली जाएगी. पिछले साल अमरनाथ यात्रा में 8 जुलाई को प्राकृतिक आपदा में 16 लोगों की मौत हो गई थी. इसी वजह से इस बार श्रद्धालुओं के लिए ऐसे स्थानों पर आश्रय गृह बनाए गए हैं, जहां फ्लैश फ्लड की संभावना नहीं है. इसके लिए इसरो की रिमोट सेंसिंग सैटलाइट मदद ली गई है. मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए पॉपुलर जैसे रडार सिस्टम का भी उपयोग किया जाएगा, जो 100 किलोमीटर की परिधि में बताएंगे कि बाढ़ और बारिश की क्या स्थिति है.