भारतीय संविधान के निर्माता, समाज सुधारक दलित चिंतक बाबा साहेब का जन्म मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था. बाबा साहेब के पिता रामजी मालोजी सकपाल और माता भीमाबाई थे, वो अपने माता-पिता की 14वीं संतान थे. इनका पूरा नाम भीमराव अंबेडकर था. बाबा साहेब ने अपना पूरा जीवन दलितों गरीबों और समाज के शोषित तबके के लोगों के अधिकार के लिए लड़ते हुए बिताया. बाबा साहेब पूरे जीवन सामाजिक बुराइयों और छुआछूत के खिलाफ संघर्ष करते रहे. बताया जाता है कि बाबा साहेब को नौ भाषाओं का ज्ञान था. इन्हें देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से कुल 32 डिग्रियां मिली थीं. साल 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था.
बाबा साहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री और भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार थे. बाबा साहेब ने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और दलितों के खिलाफ सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया. श्रमिकों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन किया. आज उनकी 129वीं जयंती के दिन हम आपको उनके जीवन की कुछ खास और रोचक बातों से रूबरू करवाएंगे.
1. बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर का असली नाम अंबावाडेकर था. यही नाम उनके पिता ने स्कूल में दर्ज भी कराया था. लेकिन उनके एक अध्यापक ने उनका नाम बदलकर उन्हें अपना सरनेम 'अंबेडकर' उन्हें दे दिया, जिसके बाद स्कूल रिकॉर्ड में उनका नाम अंबेडकर दर्ज हो गया और वो इसी नाम से जाने गए.
2. बाबा साहेब अंबेडकर का परिवार महार जाति (दलित) से संबंध रखता था, जिसे तत्कालीन समाज में अछूत माना जाता था. उनके पिता ब्रिटिश सेना की महू छावनी में सूबेदार थे. बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव देखने वाले अंबेडकर ने विषम परिस्थितियों में पढ़ाई शुरू की. स्कूल के दौरान उन्हें काफी भेदभाव झेलना पड़ा. उन्हें और अन्य अस्पृश्य बच्चों को स्कूल में अलग बैठाया जाता था. वह खुद पानी भी नहीं पी सकते थे. ऊंच जाति के बच्चे ऊंचाई से उनके हाथों पर पानी डालते थे.
3.बाबा साहेब के समय में बाल विवाह प्रचलित था उनका विवाह भी महज 15 साल की उम्र में 9 वर्ष की रमाबाई से कर दिया गया था. साल 1907 में उन्होंने मैट्रिक पास की जिसके बाद 1908 में उन्होंने एलफिंस्टन कालेज में दाखिला लिया. साल 1912 में उन्होंने बांबे यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र राजनीति शास्त्र से डिग्री ली. इसके बाद महज 22 वर्ष की उम्र में बाबा साहेब एमए करने के लिए अमेरिका जले गए. अमेरिका में पढ़ाई के दौरान बड़ौदा के गायकवाड़ शासक सहयाजी राव तृतिय से मासिक छात्रवृत्ति की बदौलत संभव हो सका.
4.अंबेडकर ने दलितों पर अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए 'मूक नायक', 'बहिष्कृत भारत' और 'जनता' नाम के पाक्षिक और साप्ताहिक पत्र निकालने शुरू किए. साल 1927 से उन्होंने छुआछूत और जातिवाद के आंदोलन कर दिया. महाराष्ट्र में रायगढ़ के महाड में उन्होंने सत्याग्रह भी शुरू किया. उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर ‘मनुस्मृति’ की तत्कालीन प्रति जलाई थी.
5.साल 1952 के पहले आम चुनाव में अंबेडकर ने बॉम्बे नॉर्थ सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन वो हार गए थे. वह 2 बार राज्यसभा से सांसद रहे. अंबेडकर ने संसद में अपना हिन्दू कोड बिल मसौदा पेश करना चाहा तो उन्हें रोक दिया गया जिसके बाद उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. इस मसौदे में उत्तराधिकार, विवाह और अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की बात कही गई थी. अंबेडकर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे जो जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है.
Source : News Nation Bureau