ओडिशा के आदिवासी बहुल मयूरभंज जिले में गंभीर रूप से बीमार शिशु को कटक अस्पताल ले जाते हुए एम्बुलेंस कर्मी रास्ते में वाहन रोक कर कथित रूप से देर तक भोजन करते रहे और समय पर मदद नहीं मिल पाने की वजह से उसकी मौत हो गई. राज्य सरकार ने इस मामले में मंगलवार को एक आपात चिकित्सा तकनीशियन को नौकरी से निकाल दिया है. एक अधिकारी ने बताया कि घटना सोमवार की है.
डायरिया के कारण रविवार को बारीपदा के पीआरएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती हुए एक साल के बच्चे को तबियत बिगड़ने पर कटक, शिशु भवन ले जाया जा रहा था. बच्चे की मां गीता बेहरा ने बताया कि 108 नंबर पर कॉल करके बुलाया गयी एम्बुलेंस जैसे ही बच्चे को लेकर निकली तो वे लोग भी बारीपदा से निकल गए.
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लेकिन एम्बुलेंस के चालक, फार्मासिस्ट और अटेंडेंट ने रास्ते में रूक कर दोपहर का खाना खाने का फैसला कर लिया. उन्होंने कहा कि सभी ने बारीपदा से करीब छह किलोमीटर दूर एनएच18 पर वाहन रोका एक ढाबे पर भोजन करने लगे. बेहरा ने आरोप लगाया, तीनों ने कहा था कि वे जल्दी खानाा खा लेंगे, लेकिन उन्होंने 90 मिनट लगा दिए और बेकार की देरी होने से बच्चे को समय पर मदद नहीं मिली और उसकी मौत हो गई.
उन्होंने दावा किया, ‘‘यह एम्बुलेंस कर्मचारियों की लापरवाही है. बच्चा जब अपने जीवन के लिए लड़ रहा था तो उन्होंने उसे स्लाइन तक नहीं लगाया.’’ बच्चे के बारे में सब कुछ पता होने के बावजूद उन्होंने किसी बात पर ध्यान नहीं दिया. एम्बुलेंस ने कटक के लिए वापस अपनी यात्रा शुरू की लेकिन बच्चे की नाजुक हालत को देखते हुए वे उसे बारीपदा से करीब 15 किलोमीटर दूर कृष्णचन्द्रपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
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पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बच्चे की मां बेहरा ने बेतनोती थाने में एम्बुलेंस के चालक, फार्मासिस्ट और अटेंडेंट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी है. वहीं एम्बुलेंस चालक बिभिषण मोहंती ने शिकायत दर्ज करायी है कि स्थानीय लोगों ने उसे पीटा. बेतनोती थाने के प्रभारी अकोश नायक ने बताया कि पुलिस ने मामला दर्ज कर एम्बुलेंस जब्त कर लिया है और जांच शुरू कर दी है.
Source : Bhasha