डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने जो नहीं किया था, उसे जो बाइडन प्रशासन कर रहा है. पाकिस्तान को अर्से पहले दिए गए एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए जो बाइडन सरकार ने 450 मिलियन डॉलर के सस्टेनमेंट पैकेज की घोषणा की है, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. मोदी सरकार ने अमेरिका के दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के उप विदेश मंत्री डोनाल्ड ल्यु को इस मसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. भारत को अमेरिका की पाकिस्तान मदद के समय और धनराशि दोनों पर आपत्ति है.
ट्रंप प्रशासन ने बंद की थी पाकिस्तान को ऐसी मदद
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने 2018 में पाकिस्तान को इस तरह की इमदाद देने की कोशिशें बंद कर दी थीं. इसके बावजूद जो बाइडन प्रशासन का यह निर्णय ऐसे समय आया है जब भारत डोनाल्ड ल्यू समेत शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों के लिए मैरी टाइम सिक्योरिटी संवाद के लिए टू प्लस टू मीटिंग की मेजबानी कर चुका है. यही नहीं डोनाल्ड ल्यू ने क्वाड के सिलसिले में वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक की नुमाइंदगी की थी. हालांकि भारत सरकार को उम्मीद है कि इस घटनाक्रम से भारत-अमेरिका संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. फिर भी मोदी सरकार को इस बात का अफसोस है कि अमेरिका ने पाकिस्तान को लेकर इस नीतिगत बदलाव के बारे में पहले से नहीं बताया. खासकर जब इसका सीधा संबंध भारत की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है.
अमेरिका ने दी सस्टेनेबल पैकेज पर सफाई
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत ने इस मसले को डोनाल्ड ल्यू के साथ हुई बैठक में कड़ाई के साथ उठाया. भारत ने बेबाक शब्दों में कहा कि भारत को उसकी सुरक्षा चिंताओं पर अमेरिका को कहीं समझदारी से काम लेना चाहिए थे. हालांकि मोदी सरकार ने इस मसले पर सार्वजनिक रूप से कोई वक्तव्य जारी नहीं किया है. यह भी अलग बात है कि भारत की आपत्ति पर अमेरिका ने सफाई देते हुए कहा है कि पाकिस्तान को एफ-16 के सस्टेनेबल पैकेज में लड़ाकू विमानों की नई क्षमता, हथियार और अस्त्र-शस्त्र देना शामिल नहीं है. भारत-अमेरिका क टू प्लस टू बैठ 7 सितंबर को हुई थी, जिसमें अमेरिका के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई गई.
तालिबान ने पैकेज का बताया कारण
अमेरिकी प्रशासन के चुनिंदा अधिकारी भी मानते हैं कि पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमानों की जद में सिर्फ और सिर्फ भारत ही है. ऐसे में माना जा रहा है कि पाकिस्तान को दिए गए अमेरिकी एफ-16 लड़ाकु विमानों का बेड़ा अब पुराना हो चुका है. इस कड़ी में तालिबान का दावा भी विचार करने योग्य है. तालिबान का कहना है कि अल-कायदा के अयमान अल जवाहिरी को मारने के लिए पाकिस्तान के आसमानी क्षेत्र को इस्तेमाल करने की अनुमति को ईनाम अमेरिका ने इस तरह दिया है. हालांकि पाकिस्तान ने तालिबान के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है और भारत ने भी इस तरह के सौदे को लेकर अनभिज्ञता ही प्रगट की है.
अमेरिका ने चला है कूटनीतिक-सामरिक दांव
गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने आतंकी संगठनों के खिलाफ पाकिस्तान की खोखली सक्रियता देख इस तरह की सामरिक मदद बंद करने का फैसला लिया था, जिसे अब जो बाइडन प्रशासन ने फिर पलट दिया है. इसे यूक्रेन पर रूस के हमले और उस पर भारत की तटस्थ नीति से जोड़ कर भी देखा जा रहा है. भारत ने अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की आपत्तियों को नजरअंदाज कर न सिर्फ रूस को लेकर संयुक्त राष्ट्र में कोई निंदा प्रस्ताव पारित नहीं किया, तो मॉस्को पर थोपे गए आर्थिक प्रतिबंधों के बीच रूस से कच्चे तेल और ईंधन का निर्यात भी जारी रखा. ऐसे में भारत ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए सस्टेनेबल पैकेज देकर भारत के खिलाफ कूटनीतिक-सामरिक दांव चला है.
HIGHLIGHTS
- अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए दिया 450 मिलियन डॉलर का पैकेज
- डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को इस तरह की सामरिक मदद बंद करने का लिया था निर्णय
- तालिबान का आरोप जो बाइडन प्रशासन ने इस पैकेज के जरिये पाकिस्तान को दिया है ईनाम