चीन से तनाव के बीच लद्दाख में गरजा k9 वज्र, 50 किमी दूर से दुश्मन को बना सकती है निशाना

चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर K9-वज्र स्वचालित हॉवित्जर रेजिमेंट को तैनात किया है.

author-image
Vijay Shankar
एडिट
New Update
K9 vajra

K9 vajra ( Photo Credit : ANI)

Advertisment

भारतीय सेना ने सीमा पर चीनी सेना का जवाब देने के लिए  खतरनाक तोपों की तैनाती करनी शुरू कर दी है. चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर K9-वज्र स्वचालित हॉवित्जर रेजिमेंट को तैनात किया है. यह तोप लगभग 50 किमी की दूरी पर दुश्मन के ठिकानों पर हमला कर सकती है. इन टैंकों की खासियत है कि लक्ष्य साधने के लिए आसानी से इन्हें कहीं भी ले जाया जा सकता है. K9-वज्र की तैनाती ऐसे वक्त की गई है, जब LAC से सटे इलाकों में चीनी सेना जमकर ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है.

यह भी पढ़ें : LAC पर हाई अलर्ट पर भारतीय सैनिक, चीनी गतिविधियों पर नजर: सेना प्रमुख

 K9 वज्र स्वदेश में निर्मित है
K-9 वज्र टैंक स्व-संचालित है. यह एक ऑटोमैटिक कैनल बेज्ड आर्टिलरी सिस्टम है, जिसकी कैपिसिटी 40 से 52 किलोमीटर तक है. वहीं, इसका ऑपरेशनल रेंज 480 किलोमीटर है. K-9 वज्र तोपों का इस्तेमाल दुश्मन के खिलाफ ऊंचाई वाले इलाकों में किया जाता है. भारतीय सेना ने कुछ माह पहले 100 तोपों का ऑर्डर दक्षिण कोरियाई कंपनी को दिया था और पिछले दो वर्षों से उन्हें बल की विभिन्न रेजिमेंटों में शामिल किया गया है. K-9 VAJRA दक्षिण कोरिया के मूल K9 थंडर का स्वदेशी संस्करण है. 
सेल्फ प्रोपेल्ड गन का निर्माण मुंबई की फर्म लार्सन एंड टुब्रो ने दक्षिण कोरियाई फर्म के साथ साझेदारी में किया है. भारतीय सेना ने 1986 से बोफोर्स कांड के बाद से देश में कोई नया भारी तोपखाना शामिल नहीं किया था. सेना ने अब K9 वज्र, धनुष और M777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर को शामिल किया है.

 
 
K-9 वज्र में तोप और टैंक दोनों की खूबियां
K-9 वज्र में तोप और टैंक दोनों की खूबियां हैं. इसमें आर्टिलरी यानी तोपखाने की रेंज और ताक़त है जो 18 KM से लेकर 50 KM तक दुश्मन का कोई भी ठिकाना तबाह कर सकती है. इसमें टैंक के पावर पैक्ड फीचर भी हैं. K-9 वज्र आर्मर्ड यानी टैंक की तरह किसी भी तरह के मैदान में तेजी से चल सकता है. 

 
दुश्मनों के हौसले को पल भर में कर देता है पस्त
के-9 वज्र दुनिया के सबसे आधुनिक और हाईटेक सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी में शुमार किया जाता है. तोपखाना 35-40 किलोमीटर दूर से भारी गोलाबारी करके दुश्मन को मोर्चों और उसके हौसले दोनों को तोड़ देता है. तोपों को युद्धभूमि में सही जगह पर ले जाना काफी अहम होता है. इन्हें सेना की गाड़ियों के पीछे खींच कर ले जाना पड़ता है. वहीं बोफोर्स तोप में शूट एंड स्कूट की सुविधा है यानी वो फायर करने के तुरंत बाद अपनी जगह छोड़ देती है. लेकिन ये कुछ मीटर की दूरी तक ही जा सकती है. 

 
पीएम मोदी ने जनवरी 2020 में इसे सेना को सौंपा था
भारतीय सेना के लिए सबसे शक्तिशाली माने जा रहे इस युद्धक टैंक को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जनवरी 2020 को सेना को सौंपा था. तब उन्होंने कहा था कि सूरत में बने ये बहुउद्देश्यी K-9 वज्र टैंक हमारे देश की सरहदों पर तैनात होकर उसे महफूज रखने और जरूरत पड़ने पर दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देने में सक्षम होंगे. इसी साल जनवरी महीने में इसे ट्यूनिंग टेस्ट के लिए सेना के पास भेजा गया था, जिसके बाद  इसके सेना में शामिल होने पर मुहर लगी थी. 

HIGHLIGHTS

  • इन टैंकों को आसानी से इन्हें कहीं भी ले जाया जा सकता है
  • दुश्मन के खिलाफ ऊंचाई वाले इलाकों में किया जाता है
  • दक्षिण कोरिया के मूल K9 थंडर का स्वदेशी संस्करण है

 

चीन china फरहान अख्तर का 50वां जन्मदिन लद्दाख K9 thunderbolt 50km away k9
Advertisment
Advertisment
Advertisment