सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश करते ही कांग्रेस सांसद अधीर रंजन और गृह मंत्री अमित शाह के बीच तीखी बहस देखने को मिली. अधीर रंजन ने इस बिल को अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय का उदाहरण देते हुए इस बिल की मेरिट पर सवाल उठाए. अधीर रंजन ने कहा कि भाजपा संविधान की मूल भावना के साथ खिलवाड़ कर रही है. इस मामले को लेकर संसद में भारी हंगामा हुआ.
गृहमंत्री अमित शाह ने अधीर रंजन के आरोप का जबाव देते हुए कहा कि यह बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बिल की मेरिट पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता है. अमित शाह ने कहा कि वह इस बिल के हर सवाल का जबाव देने के लिए वह तैयार हैं. बता दें कि अगर नागरिक संशोधन बिल पास हो जाता है तो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी.
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बीजेपी का एजेंडा है पुराना, तो कांग्रेस भी आर-पार के मूड में
गौरतलब है कि भाजपा नीत राजग सरकार ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश कर वहां पारित करा लिया था, लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया. पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद विधेयक की मियाद भी खत्म हो गयी. यह विधेयक 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का चुनावी वादा था. इसीलिए बीजेपी इस मसले पर धारा 370 की ही तरह आर-पार के मूड में है. इस बिल को पेश करने से पहले रविवार को भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पार्टी के सभी सांसदों के लिए सोमवार से बुधवार तक का तीन लाइन व्हिप जारी किया. पार्टी की ओर से जारी किए गए एक पत्र में कहा गया है कि सभी भाजपा सदस्य सोमवार से बुधवार तक लोकसभा में मौजूद रहेंगे. वहीं कांग्रेस की अगुआई में अधिकांश विपक्षी दलों ने भी नागरिकता संशोधन बिल के वर्तमान स्वरूप को देश के लिए खतरनाक बताते हुई इसके विरोध की ताल ठोक दी है. पार्टी रणनीतिकारों के साथ हुई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूरी ताकत से संसद में इस बिल का विरोध करने की नीति पर मुहर लगा सियासी संग्राम का एक औऱ बिगुल फूंक दिया है.
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राज्यसभा में फंसेगी गणित, मित्र दल बनेंगे खेवनहार
लोकसभा में 303 सांसदों के साथ बहुमत रखने वाली बीजेपी के लिए निचले सदन में बिल को पारित कराना आसान है. हालांकि राज्यसभा में इसे बिल को मंजूरी दिलाने के लिए उसे फ्लोर मैनेजमेंट रूपी गणित साधनी होगी. सरकार की अहम सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने बिल की सराहना करते हुए इसमें मुस्लिमों को भी शामिल करने की मांग की. इसके अलावा जेडीयू का भी रुख साफ नहीं है. हाल ही में बीजेपी को छोड़ एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने वाली शिवसेना ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे में सरकार के लिए इस बिल को राज्यसभा से पास कराना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. हालांकि घटक और बीजेडी जैसे मित्र दलों के समर्थन के बूते एनडीए सरकार ने बिल को पारित कराने की तैयारी कर ली है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो