केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा हिंदी को अंग्रेजी की वैकल्पिक भाषा के रूप में स्वीकार करने की बात कहने के बाद से विवाद शुरू हो गया है. इसी को लेकर कांग्रेस गैर-भाषी राज्यों में हिंदी को लागू करने के किसी भी कदम का विरोध करने के लिए कमर कस रही है. कांग्रेस ने कहा कि भाजपा मुद्दा बनाकर और देश में विभाजन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है, लेकिन जब सरकार इसे लागू करेगी तो पार्टी इस तरह के किसी भी कदम का विरोध करेगी. कर्नाटक विधान परिषद में विपक्ष के कांग्रेस नेता बी के हरिप्रसाद ने कहा, 'यह आसान बात नहीं है क्योंकि गैर-हिंदी भाषी राज्य इसे स्वीकार नहीं करेंगे और हम इस तरह के किसी भी कदम का विरोध करेंगे. हालांकि मैं हिंदी बोलता हूं, लेकिन लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे. सरकार को इतिहास देखना चाहिए, देखना चाहिए कि इस मुद्दे पर पहले क्या हुआ था.'
संसदीय राजभाषा की बैठक में दिया था बयान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा था कि जब तक हम अन्य स्थानीय भाषाओं के शब्दों को स्वीकार करके हिंदी को लचीला नहीं बनाते, तब तक इसका प्रचार नहीं किया जाएगा. उन्होंने सदस्यों को बताया कि अब मंत्रिमंडल का 70 प्रतिशत एजेंडा हिंदी में तैयार किया गया है और पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में 22,000 से अधिक हिंदी शिक्षकों की भर्ती की गई है. उत्तर पूर्व के नौ आदिवासी समुदायों ने अपनी बोलियों की लिपियों को देवनागरी में बदल दिया है, जबकि सभी आठ राज्यों ने कक्षा 10 तक के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने पर सहमति व्यक्त की है.
कांग्रेस के कई नेता हुए हमलावर
भाजपा भी इसके निहितार्थ जानती है और उसकी तमिलनाडु इकाई ने कहा है कि किसी भी भाषा को जबरदस्ती लागू करने का कोई कदम नहीं है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया है कि यह भाषा साम्राज्यवाद है. उन्होंने ट्वीट में कहा था, 'हिंदी राजभाषा है, राष्ट्रभाषा नहीं, जैसा कि राजनाथ सिंह ने संसद में कहा था जब वह गृह मंत्री थे. हिंदी साम्राज्यवाद भारत के लिए मौत की घंटी होगी. मैं हिंदी के साथ बहुत सहज हूं, लेकिन मैं नहीं चाहता कि यह किसी और भाषा का गला घोंट दे. अमित शाह हिंदी थोपकर उसका नुकसान कर रहे हैं.'
मोदी सरकार दे रही हिंदी को महत्व
अमित शाह ने इस बात पर जोर दिया था कि कक्षा नौ तक के छात्रों को हिंदी का प्रारंभिक ज्ञान देने और हिंदी शिक्षण परीक्षाओं पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. गृह मंत्री ने कहा कि राजभाषा समिति की रिपोर्ट के पहले से 11वें खंड की सिफारिशों को लागू करने की प्रगति की समीक्षा के लिए सभी संबंधित सचिवों के साथ बैठक कर एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया जाए. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फैसला किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे निश्चित रूप से हिंदी का महत्व बढ़ेगा.
द्रमुक भी विरोध में उतरा
कांग्रेस की सहयोगी द्रमुक ने भी इसका कड़ा विरोध किया है. पार्टी के मुखपत्र 'मुरासोली' ने कहा कि पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत एम. करुणानिधि ने 14 वर्षीय छात्र के रूप में तत्कालीन केंद्र सरकार के राज्य के लोगों पर हिंदी थौंपने के कदम के खिलाफ तिरुपत्तूर की सड़कों पर मार्च किया था. तमिलनाडु के लोग करुणानिधि द्वारा हिंदी के खिलाफ निकाली गई रैली को अभी तक नहीं भूले हैं, उन्होंने कहा, 'इसे मत भूलना'. तमिलनाडु के लोगों से हिंदी थोपने का कड़ा विरोध करने के लिए सीधे आह्वान में, लेख में कहा गया है कि राज्य में कोई कायर नहीं है और उन पर हिंदी थोपी नहीं जा सकती. करुणानिधि के बेटे और वर्तमान मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्रीय गृह मंत्री के बयान का कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि यह राष्ट्रीय एकता को नष्ट कर देगा.
HIGHLIGHTS
- शाह ने दूसरी भाषा के शब्दों की अपना हिंदी को लचीला बनाने को कहा था
- संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक में दिया था गृहमंत्री ने बयान
- कांग्रेस ने भाषा साम्राज्यवाद बता करना शुरू कर दिया इसका विरोध