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हमारी पार्टी के संस्कार ऐसे नहीं हैं कि हम बंद कमरे में हुई बातों को सार्वजनिक करें : शाह

शाह ने कहा, राष्ट्रपति शासन से सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी का हुआ है. हमारी केयर टेकर गवर्नमेंट चली गई.

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Ravindra Singh
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हमारी पार्टी के संस्कार ऐसे नहीं हैं कि हम बंद कमरे में हुई बातों को सार्वजनिक करें : शाह

अमित शाह( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

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महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद देश के गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर आए गतिरोध और राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन पर खुलकर बोले. न्यूज एजेंसी एएनआई की दिए गए इंटरव्यू में अमित शाह ने स्पष्ट किया कि हमने किसी से भी सरकार बनाने का मौका नहीं छीना हमें अपने सहयोगी शिवसेना की शर्तें मंजूर नहीं थीं इसलिए हम महाराष्ट्र में सरकार नहीं बना पाए.

शिवसेना से जुड़े सवाल पर बोले शाह
गृहमंत्री अमित शाह ने इस इंटरव्यू के दौरान जब शिवसेना से हुई बातचीत से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी के ऐसे संस्कार नहीं कि हम बंद कमरे में हुई बातें सार्वजनिक करें. हमने कोई विश्वासघात नहीं किया है." वहीं जब अमित शाह से यह पूछा गया कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के बाद नुकसान किसे हुआ तब अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा, "राष्ट्रपति शासन से सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी का हुआ है. हमारी केयर टेकर गवर्नमेंट चली गई."

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सरकार बनाने के लिए किया 18 दिनों तक इंतजार
राष्ट्रपति शासन के फैसले पर पूछे गए सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा , "सरकार बनाने के लिए 18 दिन तक इंतजार किया गया. सरकार बनाने के लिए इतना वक्त काफी था. जिसके पास बहुमत था उसको राज्यपाल के पास जाना चाहिए था. लेकिन अंत में उन्होंने खुद सबको लिखकर बारी-बारी आमंत्रित किया. राज्यपाल ने कुछ भी गलत नहीं किया. एनसीपी ने दोपहर करीब 1.30 पर राज्यपाल से कहा था कि वे रात 8.30 तक सरकार बनाने का दावा पेश नहीं कर सकते. उसके बाद राज्यपाल ने केन्द्र को अपनी रिपोर्ट सौंप दी."

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विपक्ष पर शाह का हमला
गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी बात जारी रखते हुए आगे कहा कि, "महाराष्ट्र में आज भी सभी दलों के पास पूरा मौका है. जिसके पास बहुमत हो वह जाकर राज्यपाल से मुलाकात करे और अपना दावा पेश करे. वे दो दिन मांगते थे और हमने तो 6 महीने दे दिया है. राष्ट्रपति शासन पर मची हायतौबा कोरी राजनीति है. संख्या है तो वे आज भी सरकार बना सकते हैं. विपक्ष के पास सरकार बनाने का अधिकार तो है लेकिन संख्या नहीं है. विपक्ष इस मुद्दे पर कोरी राजनीति कर रहा है. संवैधानिक पद पर ऐसी राजनीति करना अच्छी बात नहीं है. विपक्ष भ्रांति पैदा कर सहानुभूति लेना चाहता है."

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