केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि, यह योजना भारतीय राजनीति में काले धन के वर्चस्व को खत्म करने की एक पहल है. उन्होंने कहा कि, इस योजना को खत्म करने की बजाय इसमें सुधार किया जाना चाहिए था. शाह ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि, "भारतीय राजनीति में काले धन के प्रभाव को समाप्त करने के लिए चुनावी बांड पेश किए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, उसे सभी को मानना होगा. मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरा सम्मान करता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि चुनावी बांड को पूरी तरह खत्म करने की बजाय इसमें सुधार किया जाना चाहिए था.''
गौरतलब है कि, 15 फरवरी को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में, पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने गुमनाम राजनीतिक फंडिंग को असंवैधानिक करार देते हुए केंद्र की चुनावी बांड योजना को रद्द कर दिया. साथ ही इसे भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को दानदाताओं, उनके द्वारा दान की गई राशि और प्राप्तकर्ताओं के विवरण का खुलासा करने का भी आदेश दिया.
14 मार्च को, भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने हाई-प्रोफाइल मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा से एक दिन पहले चुनावी बांड डेटा अपलोड किया. शुक्रवार को बातचीत के दौरान शाह ने कहा कि ऐसी धारणा है कि चुनावी बांड योजना से भाजपा को फायदा हुआ क्योंकि वह सत्ता में है. उन्होंने कहा, ''मैं इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करना चाहता हूं. कुल ₹20,000 करोड़ के चुनावी बांड में से बीजेपी को लगभग ₹6,000 करोड़ मिले हैं. बाकी बांड कहां गए? टीएमसी को ₹1,600 करोड़, कांग्रेस को ₹1,400 करोड़, बीआरएस को ₹1,200 करोड़, बीजेडी को ₹750 करोड़ और डीएमके को ₹639 करोड़ मिले.''
शाह ने साथ ही कहा कि, "303 सांसद होने के बावजूद हमें ₹6,000 करोड़ मिले हैं और बाकियों को 242 सांसदों के बावजूद ₹14,000 करोड़ मिले हैं. किस बात को लेकर हंगामा है? मैं कह सकता हूं कि एक बार हिसाब-किताब हो जाने के बाद वे आप सभी का सामना नहीं कर पाएंगे."
इसके अलावा, गृह मंत्री ने यह भी बताया कि चुनावी बांड के कार्यान्वयन से पहले, विपक्षी दल नकद में राजनीतिक चंदा लेते थे. शाह ने आरोप लगाया कि, वे ₹1,100 के चंदे में से ₹100 पार्टी के नाम पर जमा करते थे और ₹1,000 अपनी जेब में रखते थे.
Source : News Nation Bureau