चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ सोमवार शाम तक विकराल रूप ले लेगा और इसके चलते ओडिशा के तटीय इलाकों और पश्चिम बंगाल की गंगा नदी के पास के इलाकों में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश हो सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘अम्फान’ से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा करने के लिए आज शाम उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करेंगे. केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ प्रधानमंत्री की बैठक शाम चार बजे होगी.
मौसम विभाग की मानें को अम्फान अगले 6 घंटों में और भी विकराल रूप ले लेगा. इसके चलते गजपति, पुरी, गंजमजगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा के लिए भारी वर्षा की चेतावनी जारी कीगई है . वहीं बालासोर, भद्रक, जाजापुर, मयूरभंज, खुर्जा, कटक में कल यानी मंगलवार को भारी बारिश होने का अनुमान है.
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मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा सरकारों को जारी परामर्श में कहा कि ‘अम्फान’ सोमवार सुबह दक्षिणी बंगाल की खाड़ी के मध्य हिस्सों और बगल की मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर मौजूद है. मौसम विभाग ने कहा कि चक्रवात से तटीय ओडिशा और पश्चिम बंगाल में गंगा से लगने वाले क्षेत्र में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश होगी. ओडिशा सरकार जहां संवेदनशील इलाकों में रह रहे 11 लाख लोगों को निकालने की तैयारी कर रहा है, वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने तटीय जिलों के लिए अलर्ट जारी किया और राहत टीमें भेजी हैं.
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मौसम विभाग ने पश्चिम बंगाल के लिए ‘ऑरेंज’ चेतावनी जारी की है और कहा कि ‘अम्फान’ 20 मई को दोपहर या शाम के दौरान अत्यंत प्रचंड तूफान के रूप में बांग्लादेश में हटिया द्वीप और पश्चिम बंगाल के दीघा के बीच पश्चिम बंगाल एवं बांग्लादेश तट के बीच से गुजरेगा. इस दौरान 155-165 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी जो कभी भी 185 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती हैं. विभाग ने कहा कि अत्यधिक तेज हवाओं से कच्चे घरों को बहुत ज्यादा नुकसान और ‘पक्के’ घरों को कुछ हद तक नुकसान पहुंच सकता है.
मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि तेज हवाओं के कारण बिजली एवं संचार के खंभे मुड़ या उखड़ सकते हैं, रेलवे सेवाओं को कुछ हद तक बाधित कर सकते हैं और ऊपर से गुजरने वाले बिजली के तार एवं सिग्नल प्रणालियां प्रभावित हो सकती हैं तथा तैयार फसलों, खेतों-बगीचों को बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है. तटीय ओडिशा में 18 मई की शाम से कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है जबकि गजपति, गंजाम, पुरी, जगतसिंहपुर और केंद्रपाड़ा जैसे ओडिशा के तटीय जिलों में कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है। कोलकाता में क्षेत्रीय मौसम केंद्र के निदेशक जी के दास ने कहा कि चक्रवात के प्रभाव से उत्तर और दक्षिण 24 परगना, पूर्वी एवं पश्चिमी मिदनापुर, हावड़ा और हुगली समेत पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों में 19 मई को कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है जबकि दूर-दराज के कुछ इलाकों में भारी बारिश का अनुमान है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तटीय इलाकों में राहत सामग्रियां, सूखे मेवे और ट्रेम्पोलिन भेज दिए गए हैं। अधिकारी ने कहा, “हम किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी तरह के कदम उठा रहे हैं। विशेष नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं और राज्य आपदा प्रबंधन बल की टीमों को तैनात किया गया है। हम जन संबोधन प्रणालियों के जरिए घोषणाएं भी कर रहे हैं.”
अधिकारियों ने बताया कि त्वरित प्रतिक्रिया बल और जरूरी उपकरणों के साथ वाहन पहले ही जिलों में पहुंच चुके हैं. राज्य सचिवालय से काम कर रहे राज्य आपदा संचालन केंद्र जिले के आपदा संचालन केंद्रों के साथ लगातार संपर्क में हैं. ओडिशा के विशेष राहत आयुक्त पी के जेना ने कहा कि गंजाम, गजपति, पुरी, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, भद्रक, बालासोर, मयूरभंज, जाजपुर, कटक, खुर्दा और नयागढ़ के जिलाधिकारियों से जरूरत पड़ने पर संवेदनशील इलाकों से लोगों को निकालने के लिए तैयार रहने को कहा है. उन्होंने कहा कि 11 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए तैयारियां कर ली गई हैं लेकिन लोगों को किन स्थानों से निकालना है यह फैसला सही समय पर किया जाएगा। जेना ने कहा कि 12 तटीय जिलों में 809 चक्रवात शिविरों में से 242 को फिलहाल कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच विभिन्न राज्यों से लौट रहे लोगों के लिए अस्थायी चिकित्सा शिविर के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है.
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा कि 10 इकाइयों को ओडिशा के विभिन्न जिलों में भेजा गया है जबकि 10 अन्य इकाइयों को तैयार रखा गया है. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अधिकारियों को लोगों को संवेदनशील इलाकों से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की योजना बनाने का निर्देश दिया है. साथ ही सड़क मार्ग, पेयजल आपूर्ति, बिजली आपूर्ति और अस्पतालों के ढांचे एवं वहां बिजली-पानी की आपूर्ति को जल्द बहाल करने की भी तैयारी करने को कहा है. चक्रवात ‘अम्फान’ से एक साल पहले पिछले साल तीन मई को ओडिशा में तूफान फणी ने कहर बरपाया था और 64 लोगों की जान लेने के साथ ही बिजली,दूरसंचार, पानी एवं अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की अवसंरचना को तबाह कर दिया था.