सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रियल एस्टेट बिजनस के आम्रपाली कंपनी समूह ने होम बायर्स से जुटाए पैसे की हेराफेरी करके दूसरी कंपनियों में पहुंचा दिया और इस 'बड़ी धोखाधड़ी' में शामिल 'बड़े गिरोह' को सामने लाना ही होगा. जस्टिस अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ को फरेंसिक ऑडिटरों (खातों में आपराधिक हेराफेरी की जांच करने वाले ऑडिटरों) ने बताया कि कंपनी के दस्तावेजों से पता चलता है कि समूह की एक कंपनी द्वारा गौरीसूत इन्फ्रास्ट्रक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड को 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि हेराफेरी से पहुंचाई गई.
फरेंसिक आडिटरों ने यह भी कहा कि कानून के तहत नियुक्त कंपनी के ऑडिटरों ने भी कई गलतियां कीं और वे अपने कर्तव्यों का पालन करने में पूरी तरह विफल रहे. पीठ ने कहा, 'समूह द्वारा इधर-उधर किए गए धन को वापस निकालना होगा. इसी के लिए यह फरेंसिक ऑडिट है और यह इसलिए भी है कि इस सबके पीछे जिम्मेदार लोगों को पकड़ा जाए और जरूरी हो तो उन्हें जेल भेजा जाए.'
सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने कहा, 'यह एक बड़ा गिरोह है जिसका पर्दाफाश जरूरी है. उन्होंने (आम्रपाली समूह ने) बड़ी धोखाधड़ी की है. हम देखते हैं कि क्या किया जा सकता है.' फरेंसिक ऑडिटरों रवि भाटिया और पवन कुमार अग्रवाल ने न्यायालय को बताया कि उन्हें समूह की कुछ कंपनियों द्वारा घर खरीदारों के पैसे का हेरफेर करने की जानकारी मिली है और इसके लिए कुछ मुखौटा कंपनियां भी बनाई गई थीं. सुनवाई के दौरान ऑडिटरों ने कहा कि उन्हें अभी तक इस संबंध में कोई धमकी नहीं मिली है.
पीठ ने कहा, 'यदि धमकी का थोड़ा सा भी शक हो, आप हमें बताइए. कोई भी कितना भी बड़ा हो, आप हमें बताएं. हम देख लेंगे.' ऑडिटरों ने पीठ को बताया कि गौरीसूत के डायरेक्टर आशीष जैन और विवेक मित्तल समूह के विधायी ऑडिटरों के रिश्तेदार बताए जाते हैं. उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि आम्रपाली ग्रुप के सीईओ चंदर वाधवा मामले में सहयोग नहीं कर रहे हैं.
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ऑडिटरों ने कहा, 'उन्हें (वाधवा को) यह याद है कि उनकी शादी कब हुई. उसे अन्य निजी बातें भी याद हैं. बस यह याद नहीं है कि वह आम्रपाली ग्रुप से कब जुड़े थे.' न्यायालय ने अगली सुनवाई की तारीख 26 अक्टूबर को पेश होने को कहा. कोर्ट ने फरेंसिक ऑडिटरों को गुरुवार तक अंतरिम रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
Source : News Nation Bureau