...तो इसलिए पंजाब के 'कैप्टन' ने 'गुरु' को लंच पर बुलाया है

कैबिनेट में लंबे समय से फेरबदल की चर्चा चली आ रही थी लेकिन पार्टी हाईकमान द्वारा सिद्धू को पुनः कैबिनेट में लाने के दबाव के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था.

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Nihar Saxena
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रिश्तों में जमी बर्फ रही है पिघल. लंच कर दूर होंगे गिले शिकवे.( Photo Credit : न्यूज नेशन.)

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ऐसा लगता है कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के बीच गिले शिकवे दूर हो गए हैं. दरअसल मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को बुधवार के दिन लंच का बुलावा भेजा है. माना जा रहा है दोनों नेता लंच पर हुई मुलाकात में राज्य और केंद्र की राजनीति पर विचार विमर्श कर सकते हैं. दोनों नेताओं ने काफी समय से एक-दूसरे से बात नहीं की थी. इस बैठक को राजनीतिक हलकों में पुरानी बातों को भुलाने के रूप में देखा जा रहा है. मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच लंच मीटिंग को लेकर राज्य और राष्ट्रीय स्तर की राजनीति पर चर्चा होने की उम्मीद है.

किसान आंदोलन का आधार
बता दें कि केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब के किसानों ने मोर्चा खोल रखा है. पंजाब में किसान कई हफ्तों से सड़कों और रेल पटरियों पर थे. इसके चलते केंद्र सरकार ने पंजाब में रेल सेवाएं रोक दी थीं. रेल सेवा ठप होने की वजह से पंजाब में आपूर्ति सेवा प्रभावित हुई तो राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई. राज्य में बिजली संकट पैदा हो गया. बाद में राज्य सरकार और केंद्र के बीच बातचीत के बाद किसानों ने 15 दिनों के लिए पटरियां खाली कर दीं. हालांकि किसानों ने केंद्र से बातचीत असफल रहने पर फिर से रेल सेवाएं ठप करने की धमकी दी है. राज्य की अमरिंदर सरकार के आश्वासन के बाद रेलवे ने आंशिक रूप से ट्रेन सेवाएं चालू कर दी हैं.

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माह भर से रिश्तों में आ रही गर्माहट
कृषि बिलों को लेकर बुलाए गए इस सत्र में सिद्धू पहले ऐसे कांग्रेस नेता थे, जिन्हें मुख्यमंत्री के बाद पंजाब विधानसभा में बोलने का मौका दिया गया था. अहम बात तो यह थी कि सिद्धू को खुद कैप्टन ने फोन करके बता दिया था कि उन्हें कृषि बिल पर उनके (कैप्टन) बाद बोलना है. हालांकि 4 नवंबर को दिल्ली में दिए गए कांग्रेस के धरने के दौरान दोनों नेताओं के बीच मतभिन्नता सामने आई थी. जब सिद्धू ने धरने के दौरान आर-पार की लड़ाई वाली बात उठा दी थी. इसके बाद कैप्टन ने कहा था कि वह किसी से लड़ने नहीं आए हैं. वह अपनी बात रखने आए है. इस पर सिद्धू खिन्न हो गए थे. 

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सिद्धू की कैबिनेट में वापसी भी संभव
कैप्टन द्वारा सिद्धू को लंच पर बुलाने के साथ ही पंजाब कैबिनेट में विस्तार की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. कैबिनेट में लंबे समय से फेरबदल की चर्चा चली आ रही थी लेकिन पार्टी हाईकमान द्वारा सिद्धू को पुनः कैबिनेट में लाने के दबाव के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था. वहीं, कैप्टन द्वारा लंच डिप्लोमेसी करने के बाद इन चर्चाओं को बल मिल जाता है कि जल्द ही पंजाब कैबिनेट में बदलाव हो सकता है और सिद्धू की कैबिनेट में वापसी हो सकती है. माना जा रहा है कि नए समीकरण में कैप्टन और सिद्धू के बीच आई दरार को पाटने की कोशिश होगी. वहीं, कैप्टन सिद्धू को पुनः कैबिनेट में आने का भी न्योता दे सकते है. सिद्धू के कैबिनेट मंत्री पद को छोड़ने के बाद से ही कैबिनेट में एक कुर्सी खाली पड़ी हुई है.

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हरीश रावत ने कराई सुलह
कांग्रेस के महासचिव व पंजाब के प्रभारी हरीश रावत ने कैप्टन और सिद्धू के बीच के रिश्ते को सुधारने के लिए नींव रखी थी. रावत ने सिद्धू से उसके घर जाकर मुलाकात की थी. इसके बाद 4 अक्टूबर को राहुल गांधी की ट्रैक्टर यात्रा के दौरान सिद्धू लंबे समय बाद कांग्रेस के मंच पर दिखाई दिये थे. हालांकि इस मंच पर सिद्धू ने पंजाब सरकार के खिलाफ तल्ख रुख अपनाया था. इस पर कांग्रेस में खासी नाराजगी भी देखने को मिली थी. राहुल गांधी की उपस्थिति में सिद्धू की इस तलखी के कारण उन्हें फिर कांग्रेस के मंच पर बोलने का मौका नहीं दिया गया था, लेकिन हरीश रावत लगातार सिद्धू की हिमायत करते रहे. जिसका असर भी देखने को मिला. जब 19 अक्टूबर को पंजाब विधान सभा का सत्र आया तो सिद्धू भी इस सत्र में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे, जबकि 2019 के लोक सभा चुनाव के बाद सिद्धू ने कभी भी विधान सभा की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था.

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