भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बार फिर से सोशल ऐक्टिविस्ट अन्ना हजारे हुंकार भरेंगे. अन्ना हजारे ने 30 जनवरी से भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा की है. अन्ना हजारे का यह आंदोलन उनके गांव रालेगण सिद्धि में ही होगा. अन्ना हजारे लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट, 2013 को लागू न करने की वजह से केंद्र सरकार से नाराज हैं. अन्ना हजारे का कहना है कि लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट 2013 में बना. 2014 में जब मोदी सरकार आई तो उम्मीद थी कि यह सरकार कुछ करेगी. लेकिन पिछले पांच सालों में इन्होंने भी कुछ नहीं किया.
बता दे कि इससे पहले भी अन्ना हजारे ने पीएमओ को खत लिखकर इस बाबत नाराजगी जताई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पत्र में अन्ना हजारे ने लिखा था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने पहले कहा कि लोकसभा में विपक्ष में कोई वरिष्ठ नेता ना होने के कारण लोकपाल नियुक्त नहीं किया जा सकता, जो नियुक्त प्रक्रिया का हिस्सा है और बाद में कहा कि चयन समिति में कोई प्रतिष्ठित न्यायवादी नहीं है.
हजारे ने पत्र में लिखा था, 'लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति के लिये 16 अगस्त, 2011 को समूचा देश सड़कों पर उतर आया था, आपकी सरकार इसी आंदोलन की वजह से सत्ता में आयी.'
उन्होंने कहा, 'चार साल बीत गये लेकिन सरकार किसी न किसी कारण से लोकपाल और लोकायुक्त की नियुक्ति टालती रही.'
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लोकपाल और लोकायुक्त एक्ट को लेकर मोदी सरकार की उदासीन रवैया को देखते हुए अन्ना हजारे ने भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा की है.
गौरतलब है कि 2 अक्टूबर 2018 में ही अन्ना हजारे इसे लेकर आंदोलन शुरू करने वाले थे, लेकिन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद उन्होंने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था.
Source : News Nation Bureau