इस वक्त दुनिया के तमाम देशों में भारत विरोधी (Anti India) लॉबी नए सिरे से सक्रिय हो चुकी है. इस कड़ी में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आज़ादी पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत को धार्मिक आजादी के मामले में विशेष चिंता का देश घोषित किया है. यह अलग बात है कि दुष्प्रचार और गलतबयानी को भांप कर भारत ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है. इस अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में अल्पसंख्यकों (Minorities) पर हमले बढ़े हैं. आयोग ने इस घटनाओं के आधार पर भारत को 2004 के बाद पहली बार उन 14 देशों की सूची में रखा है, जहां अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़े हैं. इस सूची में पाकिस्तान, चीन और उत्तरी कोरिया पहले से शामिल हैं.
यह भी पढ़ेंः जफरुल इस्लाम खान के खिलाफ सोशल मीडिया में उबाल, अरविंद केजरीवाल से फौरन पद से हटाने की मांग
भारत में धार्मिक आजादी चिंता का विषय
गौरतलब है कि अमेरिकी आयोग ने कहा है कि 2018 के बाद से भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति खराब हुई है. 2018 में लगभग एक तिहाई राज्य सरकारों ने गैर हिंदुओं और दलितों के खिलाफ भेदभावपूर्ण या गौ-हत्या विरोधी कानूनों को तेजी से लागू किया. इसके अलावा हिंसा से जुड़े गौ-रक्षा दल मुख्य रूप से मुस्लिमों और दलितों को निशाना बना रहे हैं. इस संगठन ने भारत की धार्मिक आजादी पर चिंता जताते हुए उसे दूसरी श्रेणी में जगह दी है. यानी भारत को धार्मिक आजादी के मामले में विशेष चिंता का देश घोषित किया है. रिपोर्ट में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और नागरिकता संशोधन क़ानून की विशेष रूप से आलोचना की गई है.
यह भी पढ़ेंः उद्धव सरकार चुनाव आयोग से कर सकती है MLC चुनाव कराने की सिफारिश, कैबिनेट बैठक आज
अमित शाह और योगी के बयानों का जिक्र
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में भारत सरकार पर धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ उत्पीड़न और हिंसा का माहौल बनाने का आरोप लगाया है. रिपोर्ट में आयोग ने अमित शाह के उस बयान का जिक्र किया है, जिसमें उन्होंने घुसपैठियों को दीमक कहा था. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नागरिकता क़ानून के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के ख़िलाफ़ बदला लेने के बयान का भी जिक्र किया गया है. आयोग ने दिल्ली दंगों के दौरान मुसलमानों पर हमले होने की बात कही है.
यह भी पढ़ेंः 1007 हुई कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या, 7,695 मरीज ठीक होकर घर लौटे
भारत ने कहा आयोग ने सीमा पार की
हालांकि इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त कर भारत ने आयोग को झिड़कते हुए कहा है कि इसके पैनल द्वारा ग़लत व्याख्या करने की आदत नए और निचले स्तर पर पहुंच गई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने अमेरिकी आयोग को कड़ा जवाब देते हुए कहा, 'अमेरिकी आयोग की रिपोर्ट पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है और भारत के ख़िलाफ़ इसके द्वारा इस तरह की टिप्पणियां कोई नई बात नहीं हैं. हालांकि इस बार तो तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की सीमा सभी स्तर पार कर चुकी है. यह अलग बात है कि आयोग अपनी इन कोशिशों में अपने कमिश्नरों को ही साथ नहीं रख पाया है.'
HIGHLIGHTS
- USCIRF ने धार्मिक आजादी के मामले में भारत को कठघरे में खड़ा किया.
- चीन, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया के साथ विशेष चिंता का देश घोषित किया.
- मोदी सरकार ने दुष्प्रचार और स्तरहीन करार देकर सिरे से खारिज की रिपोर्ट.